Black Fungus के इलाज में मिलेगी बड़ी राहत, अब देश में छह कंपनियां बनाएंगी एंटी माइक्रोबियल एम्फोटेरेसिन बी इंजेक्शन

देश में ब्लैक फंगस के इलाज में इंजेक्शन की कमी को दूर करने के लिए कंपनियों को अनुमति दी गई है। अभी सिर्फ भारत सीरम ही एम्फोटेरेसिन बी नाम से एंटी फंगल इंजेक्शन बनाती है। केंद्र सरकार ने राज्यों के लिए इंजेक्शन के 19 हजार वॉयल लिये थे।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Thu, 27 May 2021 08:59 AM (IST) Updated:Thu, 27 May 2021 08:59 AM (IST)
Black Fungus के इलाज में मिलेगी बड़ी राहत, अब देश में छह कंपनियां बनाएंगी एंटी माइक्रोबियल एम्फोटेरेसिन बी इंजेक्शन
ब्लैक फंगस के इलाज के लिए उठाया कारगर कदम।

कानपुर, [ऋषि दीक्षित]। कोरोना वायरस के संक्रमण के बाद नई समस्या के रूप में आ खड़े हुए ब्लैक फंगस (म्यूकर माइकोसिस) से निपटने में काम आने वाले एंटी माइक्रोबियल एम्फोटेरेसिन बी इंजेक्शन की देश में कमी जल्द दूर होगी। इसके लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीजीसीआइ) ने कमेटी को-ऑर्डिनेशन सेल की ऑनलाइन बैठक बुलाकर छह नई फार्मा कंपनियों को इंजेक्शन बनाने की अनुमति दी है। कमेटी में शामिल गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल (जीएसवीएम) मेडिकल कॉलेज की प्रो. रिचा गिरि ने बताया कि इससे एक माह में इंजेक्शन की कमी दूर हो जाएगी।

देश में अभी तक सिर्फ भारत सीरम ही एंटी माइक्रोबियल एवं एंटी वायरल लाइपोसोम साल्ट से एम्फोटेरेसिन बी इंजेक्शन बनाती है। ब्लैक फंगस के केस तेजी से बढऩे पर केंद्र सरकार ने भारत सीरम के पास तैयार इंजेक्शन के 19 हजार वॉयल ले लिए, जो राज्यों को उपलब्ध कराए। अधिकतर ब्लैक फंगस के पीडि़तों का इलाज टर्सरी सेंटर यानी राजकीय मेडिकल कॉलेजों, मेडिकल यूनिवर्सिटी व चिकित्सकीय संस्थानों में हो रहा है। हालांकि, कुछ निजी अस्पतालों में भी पीडि़त भर्ती हैं, जिन्हें इंजेक्शन नहीं मिलने से दिक्कतें हैं। थोक दवा बाजारों में व्यापारी भी समस्या बता चुके हैं।

इसके निराकरण के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की पहल पर डीजीसीआइ ने एक्सपर्ट कमेटी को-ऑर्डिनेशन सेल की बैठक 19 मई की दोपहर 12 बजे से शाम छह बजे तक दिल्ली से ही वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से की। इसमें छह फार्मा कंपनियों के एंटी माइक्रोबियल एवं एंटी वायरल इंजेक्शन बनाने के प्रस्ताव पर सदस्यों ने मुहर लगा दी।

इन कंपनियों को मिली अनुमति : एमक्योर, गुफिक बायोसाइंस, नाटको, एलेंबिक, प्रोटेक टेलीलिंक, लॉयका।

एक्सपर्ट कमेटी को-ऑर्डिनेशन सेल के सदस्य

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज कानपुर से डॉ. रिचा गिरि, राजकीय मेडिकल कॉलेज चंडीगढ़ से डॉ. वर्षा गुप्ता, एमएएमसी नई दिल्ली से डॉ. रोहित चावला, केजीएमयू लखनऊ से डॉ. अमित जैन, जीबी पंत हॉस्पिटल नई दिल्ली से डॉ. अर्चना ठाकुर, एसएमएस मेडिकल कॉलेज जयपुर से डॉ. अभिषेक अग्रवाल, अखिल भारतीय आयुॢवज्ञान संस्थान (एम्स नई दिल्ली) से डॉ. उर्वशी बी सिंह और डॉ. पूजा गुप्ता।

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एंटी माइक्रोबायल एम्फोटेरेसिन बी इंजेक्शन की डिमांड नहीं थी। इसलिए एक ही कंपनी बनाती थी। अचानक मांग बढऩे पर छह कंपनियों को अनुमति दी गई है। -प्रो. रिचा गिरि, उप प्राचार्य एवं मेडिसिन विभागाध्यक्ष, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज।

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