कठिन हुआ विवाह पंजीकरण, अब हर दस्तावेज का देना होगा हलफनामा

पति पत्नी दोनों पक्षों से चाहिए एक-एक गवाह गलत फायदा उठाने पर की गई कड़ाई पहले लगता था एक दस्तावेज।

By AbhishekEdited By: Publish:Tue, 23 Apr 2019 11:34 PM (IST) Updated:Wed, 24 Apr 2019 09:33 AM (IST)
कठिन हुआ विवाह पंजीकरण, अब हर दस्तावेज का देना होगा हलफनामा
कठिन हुआ विवाह पंजीकरण, अब हर दस्तावेज का देना होगा हलफनामा
कानपुर, जेएनएन। विवाह के पंजीकरण को जरूरी बनाने के साथ प्रदेश सरकार ने इसके पंजीकरण की प्रक्रिया को काफी सरल कर दिया था। इसके बाद सरल हुई प्रक्रिया का गलत फायदा उठाया जाने लगा तो एक बार फिर शासन ने प्रक्रिया को कठिन कर दिया है। अब पति पत्नी को शादी के रजिस्ट्रेशन में दिए जा रहे हर दस्तावेज का हलफनामा देना होगा। अभी तक गवाह नहीं होते थे लेकिन अब पति-पत्नी दोनों पक्ष से एक-एक गवाह भी जरूरी होगा।
विवाह रजिस्ट्रेशन की पूर्व प्रक्रिया
उत्तर प्रदेश विवाह पंजीकरण नियमावली 2017 के तहत आवेदन पति-पत्नी विभाग की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन करते थे। इसमें पति-पत्नी के पते समेत सामान्य जानकारी, आधार कार्ड की स्कैन प्रति और दोनों की स्कैन फोटो अपलोड करने पर रजिस्ट्रेशन हो जाता था। इसके बाद तय तारीख पर पति-पत्नी रजिस्ट्री कार्यालय में अधिकारी के समक्ष उपस्थित होकर वास्तविक दस्तावेज दिखाते थे जिसके बाद शादी का रजिस्ट्रेशन हो जाता था।
संशोधन के बाद प्रक्रिया
उत्तर प्रदेश विवाह पंजीकरण नियमावली 2017 के तहत विवाह पंजीकरण साफ्टवेयर में संशोधन कर दिया गया है। इसके बाद पति-पत्नी के पहचान, पता, आयु संबंधित पहचान बताने के लिए अलग-अलग दस्तावेज देने होंगे। इसके साथ ही शादी का कार्ड अथवा आर्य समाज से जारी प्रमाण पत्र अथवा राजपत्रित अधिकारी या सभासद या पार्षद द्वारा जारी पत्र की प्रति स्कैन कर अपलोड करनी होगी। इसके साथ ही पति-पत्नी को एक-एक गवाह प्रस्तुत करना होगा। इससे भी बड़ी बात ऑनलाइन अपलोड किए गए सभी दस्तावेजों का हलफनामा भी देना होगा। इसके बाद इन सभी दस्तावेजों के साथ रजिस्ट्री कार्यालय में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना
अधिवक्ताओं की राय
प्रक्रिया बहुत जटिल कर दी गई है। अब सभी दस्तावेज देने के बाद भी समय से विवाह का पंजीकरण नहीं हो पाता है। इसके चलते पंजीकरण कराने वालों की संख्या कम हो गई है।-गगन गुप्ता, अधिवक्ता
पंजीकरण करने वाले कैफे संचालक पहले फीस 100 रुपये लेते थे। प्रक्रिया जटिल होने के बाद यह धनराशि 300 रुपये से अधिक हो गई।-विक्रम सिंह, अधिवक्ता
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