एनएमसी ने सख्त किए नियम, जानिए- विदेश से एमबीबीएस करने वालों के लिए रखीं शर्तें

एनएमसी ने विदेश से पढ़ाई करने वालों के पंजीकरण के नियम सख्त कर दिए हैं नया नोटिफिकेशन 18 नवंबर को जारी किया गया है। एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करके लौटने वाले डाक्टरों को कठिनाई होती थी। एनएमसी ने विदेशी आयुर्विज्ञान स्नातक लाइसेंसिएट विनियमावली 2021 जारी की है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sun, 05 Dec 2021 07:58 AM (IST) Updated:Sun, 05 Dec 2021 07:58 AM (IST)
एनएमसी ने सख्त किए नियम, जानिए- विदेश से एमबीबीएस करने वालों के लिए रखीं शर्तें
विदेशी आयुर्विज्ञान स्नातक लाइसेंसिएट विनियमावली 2021 जारी।

कानपुर, जागरण संवाददाता। नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) यानी राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान चिकित्सा आयोग ने अपने नियम अब सख्त कर दिए हैं और विदेश से पढ़ाई करके आने वाले डाक्टरों पर बंदिशें लगाई हैं। विदेश से एमबीबीएस की पढ़ाई करके भारत आने के बाद डॉक्टर एक सामान्य परीक्षा पास करके पंजीकरण करा लेते थे और प्रैक्टिस शुरू कर देते थे लेकिन अब उन्हें खासा मशक्कत करनी होगी। विदेश से एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले डाक्टरों के लिए देश में पंजीकरण कराना और मान्यता पाना आसान नहीं रह गया है। एनएमसी ने विदेश से डाक्टरी की शिक्षा प्राप्त करके देश लौटने वालों को पंजीकरण के लिए नए नियम बनाने के साथ कई शर्तें भी रख दी हैं। 18 नवंबर को इस संबंध में नोटिफिकेशन भी जारी किया गया है।

शर्तें पूरी करने पर ही इंटर्नशिप की अनुमति

विदेश से पढ़ाई करके आने वाले डाक्टर एनएमसी की शर्तों को पूरा करेंगे। उसके बाद उन्हें भारत में एक साल की इंटर्नशिप करने होगी। उसके बाद ही एनएमसी की ओर से आयोजित होने वाला नेशनल एग्जिट टेस्ट देना होगा। उसमें उत्तीर्ण होने पर ही एनएमसी से स्थायी पंजीकरण यानी प्रैक्टिस का लाइसेंस मिल सकेगा।

भारत से हर साल बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए चीन, रूस समेत अन्य देश में जाते हैं। खासकर चीन, रूस समेत कई अन्य देशों में एमबीबीएस की पढ़ाई उस देश की मातृभाषा में कराई जाती है। ऐसे में वहां से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करके लौटने वाले डाक्टरों को यहां के अनुरूप कार्य करने में कठिनाई होती थी। इसे ध्यान में रखते हुए एनएमसी ने विदेशी आयुर्विज्ञान स्नातक लाइसेंसिएट विनियमावली 2021 जारी की है।

एनएमसी की शर्तों में स्पष्ट है कि विदेश में चिकित्सा स्नातक यानी एमबीबीएस की पढ़ाई मान्यता प्राप्त संस्थान से की गई हो। अंग्रेजी में एमबीबीएस की पूरी पढ़ाई कराई गई हो। जहां एमबीबीएस की पढ़ाई की है, वहां की डिग्री मान्य हो और उसी संस्थान में 12 माह की इंटर्नशिप भी पूरी की हो। उसके बाद डिग्री के आधार पर उसी देश में प्रैक्टिस के लिए पंजीकरण कराया हो, जिस प्रकार वहां के नागरिकों को मेडिकल प्रैक्टिस से पहले लाइसेंस लेना होता है।

-विदेश से एमबीबीएस की पढ़ाई करके आने वालों के पंजीकरण के नियम एनएमसी ने सख्त करते हुए कुछ शर्तें लगा दी हैं। उन्हें पूरा करने के बाद ही उन्हें देश में 12 माह की इंटर्नशिप करने की अनुमति प्रदान की जाएगी। इंटर्नशिप पूरी करने के बाद एनएमसी का नेशनल एग्जिट टेस्ट पास करना होगा। उसके बाद उनकी डिग्री को मान्यता मिलेगी और उन्हें पंजीकरण मिल सकेगा। -डा. मनीष सिंह, न्यूरो सर्जरी विभागाध्यक्ष,जीएसवीएम मेडिकल कालेज एवं एनएमसी के जानकार।

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