ओमिक्रोन का डर: कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर 50 हजार यात्री और जांच सिर्फ 400 की, ऐसे कैसे रूकेगा संक्रमण

कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन की दस्तक हो चुकी है। इसे लेकर चकेरी एयरपोर्ट सेंट्रल स्टेशन पर बाहर से आने वाले यात्रियों की जांच शुरू कर दी गई है। लेकिन जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हो रही है। दैनिक जागरण की पड़ताल में हकीकत सामने आई है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Tue, 07 Dec 2021 09:35 AM (IST) Updated:Tue, 07 Dec 2021 09:35 AM (IST)
ओमिक्रोन का डर: कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर 50 हजार यात्री और जांच सिर्फ 400 की, ऐसे कैसे रूकेगा संक्रमण
सेंट्रल स्टेशन पर नहीं हो रही है यात्रियों की स्क्रीनिंग।

कानपुर, जागरण संवाददाता। कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन की दस्तक हो चुकी है। कई शहरों में इसके रोगी सामने आने लगे हैं। अब तक 21 लोगों में नए वैरिएंट की पुष्टि हुई है। इसे लेकर चकेरी एयरपोर्ट, सेंट्रल स्टेशन पर बाहर से आने वाले यात्रियों की जांच शुरू कर दी गई है। एयरपोर्ट पर जहां मुंबई और बेंगलुरु के यात्रियों पर विशेष निगाह रखी जा रही हैं वहीं सेंट्रल स्टेशन पर मुंबई और दिल्ली से आने वाले यात्रियों की स्क्रीङ्क्षनग और लक्षण की आशंका में जांच प्रमुखता से करने के निर्देश स्वास्थ्य विभाग को दिए गए हैं, लेकिन सेंट्रल स्टेशन पर यात्रियों की स्क्रीनिंग की खानापूरी ही हो रही है। खबर के साथ की गई पड़ताल इसका उदाहरण है। जहां स्वास्थ्य टीम सुरक्षा और संसाधन के लिए शिकायत करती है, वहीं रेलवे प्रशासन सभी सुविधाएं मुहैया कराने का दावा कर रहा है।

पड़ताल एक : सेंट्रल स्टेशन के सिटी साइड में दोपहर डेढ़ बजे स्वास्थ्य विभाग की दूसरी टीम पहुंची। टीम के पांच सदस्यों के लिए एक मेज और तीन कुर्सियां थीं। टीम के सदस्यों को जांच की तैयारी करने में ही एक घंटा लग गया। यात्रियों की स्क्रीनिंग और जांच न होने के सवाल पर कर्मचारी बोले संसाधन नहीं हैं। सामान रखने के लिए मेज भी नहीं है। सुरक्षाकर्मी भी कोई नहीं मिला। तैयारी कर लें तब जांच शुरू करेंगे।

पड़ताल दो : सिटी साइड पर सुबह आई स्वास्थ्य टीम ने 37 लोगों की जांच की थी। इन सभी की रिपोर्ट एलएलआर अस्पताल भेजी गई है। स्वास्थ्य टीम के कर्मचारियों ने निकासी गेट पर शिविर लगाया था। हालांकि यहां यात्रियों की स्क्रीनिंग के लिए कोई व्यवस्था नहीं मिली। पूछने पर कर्मचारियों ने बताया कि एक कर्मचारी हैं, वह अभी कहीं गए हैं। बोले, यात्रियों को रोकते हैं तो हर कोई यह कहकर निकल जाता है कि दूसरी डोज लग चुकी है।

दिल्ली-मुंबई के यात्रियों की संख्या अधिक: सेंट्रल स्टेशन से होकर 347 ट्रेनें गुजरती हैं। इनमें 50 हजार यात्री हर दिन सफर करते हैं। दिल्ली की बात करें तो 50 जोड़ी ट्रेनें आती जाती हैं, जबकि मुंबई के लिए भी 18 जोड़ी ट्रेनें हैं। ऐसे में दिल्ली, मुंबई से आने वाले यात्रियों की संख्या कई हजार है। सेंट्रल स्टेशन पर सुबह छह से दोपहर दो और दोपहर दो बजे से रात दस बजे तक दो स्वास्थ्य टीमें बारी-बारी से काम करती हैं। एक स्वास्थ्य टीम के पास आरटीपीसीआर के लिए 100 किट होती हैं। ऐसे में चार टीमें एक दिन में 400 जांच ही कर पा रही हैं।

स्क्रीनिंग जैसा कुछ नहीं: सेंट्रल पर यात्रियों की स्क्रीङ्क्षनग नहीं हो रही है। स्वास्थ्य टीमें सैंपल लेकर काम चला रही हैं। कैंट साइड में आटोमेटिक थर्मल स्कैनर लगा हुआ है, जिसके सामने से होकर जाने वाला का तापमान स्क्रीन पर आ जाता है लेकिन इस स्कैनर को देखने के लिए कोई तैनात नहीं है।

बोले जिममेदार: चार टीमें लगाई गई हैं। टीमों को सभी यात्रियों की स्क्रीनिंग के निर्देश दिए गए हैं। लक्षण की संभावना में आरटीपीसीआर सैंपल लेना है। यदि ऐसा नहीं हो रहा है तो जांच कराई जाएगी। अमित कुमार सिंह, जनसंपर्क अधिकारी प्रयागराज मंडल

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