फ्रांस की न्यू ट्रैक लेन मशीन से आठ घंटे में बिछा रहे डेढ़ किमी पटरी, डीएफसी निर्माण में आई तेजी
डेडीकेटेड फ्रेट कारिडोर के काम में अब तेजी आ गई है और 236 किमी लंबे ट्रैक में 180 किमी का काम पूरा हो चुका है। यहां फ्रांस से लाई गई न्यू ट्रैक लेन मशीन से काम किया जा रहा है जो आठ घंटे में डेढ़ किमी पटरी बिछा रही है।
कानपुर, जेएनएन। कोविड संक्रमण के दौरान डेडीकेटेड फ्रेट कारिडोर (डीएफसी) रेल ट्रैक निर्माण का काम भी धीमा हो गया था। भाऊपुर से सरसौल के बीच 45 किमी लंबे रेल ट्रैक पर एक साल से काम चल रहा है, लेकिन अभी तक पूरा नहीं हो सका है। बीते सप्ताह डीएफसी के कार्यकारी निदेशक ने निरीक्षण कर जल्द से जल्द काम समाप्त करने के निर्देश दिए थे, जिसके बाद काम में तेजी आई है। फ्रांस से आई न्यू ट्रैक लेन मशीन से आठ घंटे में डेढ़ किमी रेल ट्रैक बिछाया जा रहा है।
डीएफसी भाऊपुर से खुर्जा तक बनकर तैयार हो चुका है। इस पर मालगाडिय़ां भी दौडऩे लगी हैं। इसके दूसरे हिस्से भाऊपुर से प्रयागराज पर काम चल रहा है। 236 किमी लंबे इस रेल ट्रैक में 180 किमी का काम पूरा हो चुका है। 56 किमी लंबे रूट पर काम चल रहा है, जिसमें 45 किमी अकेले भाऊपुर से सरसौल के बीच का हिस्सा है। डीएफसी अधिकारी बताते हैं कि इसमें 15 किमी रेल रूट बनकर तैयार है, जबकि 30 किमी पर मिट्टी बिछाने का काम चल रहा है। यह काम भी दिसंबर तक पूरा हो जाएगा।
तय कर दी समय सीमा : निरीक्षण पर आए डीएफसी के कार्यकारी निदेशक अजय कुमार ने भाऊपुर-सरसौल के बीच बन रहे रेल रूट की समय सीमा तय कर दी है। सरसौल से भीमसेन तक सितंबर और भीमसेन से भाऊपुर तक काम दिसंबर तक पूरा करने के निर्देश दिए हैं। फरवरी में इस रूट को भी शुरू करने की योजना है।
स्लीपर और रेल पटरियां एक साथ बिछाती है मशीन : न्यू ट्रैक लेन मशीन की कीमत करीब 150 करोड़ रुपये है। यह मशीन रात में स्लीपर और रेल पटरियां लोड करती है, जबकि दिन में डीएफसी ट्रैक बिछाने का काम करती है। यह मशीन स्लीपर और रेल ट्रैक बिछाने के साथ ही पेंड्रोल क्लिप भी लगाती जाती है।