Coronavirus News: पोस्ट कोविड मरीजों में फंगस का हमला, जानिए- क्या हैं म्यूकॉरमाइकॉसिस के लक्षण

कोरोना संक्रमितों पर अब फंगस का हमला समस्या बन रहा है। डॉक्टरों को पोस्ट कोविड मरीजों में म्यूकॉरमाइकॉसिस की समस्या देखने को मिल रही है।गंदे ऑक्सीजन पाइप मास्क की वजह से काली फफूंदी नुकसान पहुंचा रही है ।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sat, 08 May 2021 01:54 PM (IST) Updated:Sat, 08 May 2021 05:34 PM (IST)
Coronavirus News: पोस्ट कोविड मरीजों में फंगस का हमला, जानिए- क्या हैं म्यूकॉरमाइकॉसिस के लक्षण
कोरोना संक्रमितों में अब म्यूकॉरमाइकॉसिस की समस्या।

कानपुर, [शशांक शेखर भारद्वाज]। कोरोना संक्रमित मरीजों में स्टेरॉयड और एंटी बायोटिक के अत्यधिक सेवन के दुष्परिणाम फंगल इंफेक्शन के रूप में सामने आ रहे हैैं। हैलट के न्यूरो साइंस कोविड अस्पताल और कोविड मेटरनिटी विंग में भर्ती कुछ मरीजों में ये समस्या दिखी। इसे म्यूकॉरमाइकॉसिस (काली फफूंदी) कहते हैं।

दरअसल, इंटेंसिव केयर यूनिट (आइसीयू) और ऑक्सीजन पर लंबे समय तक रहने वाले मरीजों पर कई तरह के फंगस के हमले होने की आशंका रहती है।

फंगस की अधिकता पर रोगी के मॉस्क के चारों ओर या फिर दाढ़ी वाले हिस्से में काले धब्बे पड़ जाते हैं। यह संक्रमण की निशानी है। इसमें मिलने वाले यूवीक्यूटस (हर जगह पाए जाने वाले) फंगस नाक, गले से होते हुए श्वसन क्रिया के माध्यम से खून में मिल जाते हैं। यह खून से होते हुए आंख और दिमाग तक पहुंच जाते हैं। इसमें जहां आंखों की रोशनी प्रभावित होती है, वहीं पैरालिसिस का खतरा रहता है। प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होने से लिवर और हार्ट भी खतरे में आ जाते हैैं।

सामने आये म्यूकॉरमाइकॉसिस के ये लक्षण

न्यूरो साइंस कोविड अस्पताल के नोडल अधिकारी प्रो. प्रेम सिंह ने बताया कि म्यूकॉरमाइकॉसिस की समस्या पोस्ट कोविड मरीजों में देखने को मिली है। उनकी रिपोर्ट निगेटिव आ गई है, लेकिन घर जाने पर उनको खांसी, सांस फूलना और अन्य तरह की दिक्कतें हो रही हैं। इसमें बलगम काले रंग का आता है। रोगी को बेचैनी होने लगती है। सीने में दर्द की समस्या रहती है।

कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता से होता हमला

न्यूरो साइंस कोविड अस्पताल के आइसीयू इंचार्ज प्रो. अनिल वर्मा ने बताया कि म्यूकॉरमाइकॉसिस समेत अन्य फंगस और बैक्टीरिया का हमला कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता की वजह से होता है। कोविड पॉजिटिव रोगियों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर रहती है। इसके अलावा स्टेराइड्स और एंटी बायोटिक की अधिकता की वजह से भी फंगल इंफेक्शन बढ़ रहा हैं। हालांकि रोगियों को एंटी फंगल दवाएं भी दी जा रही हैं।

नाक, कान, गले में बढ़ता संक्रमण

म्यूकॉरमाइकॉसिस या काली फफूंदी का संक्रमण नाक, कान, गले से होते हुए फेफड़े और दिल तक पहुंचता है। इसमें रोगी को बेचैनी और दिक्कत महसूस होती है। अमूमन आठ से 10 दिन आइसीयू, एचडीयू में रहने वालों पर हमला होता है। यह नाक के रास्ते कई बार सिर पर भी हमला कर देता है।

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