शुक्लागंज गंगा पुल के पुराने पिलर पर ही बनेगा नया पुल, सीआरआरआइ की प्राथमिक जांच में 10 नंबर पिलर मिला जर्जर

रिपोर्ट के अनुसार कानपुर से शुक्लागंज को जोडऩे के लिए 1875 में गंगा के ऊपर दो मंजिला पुल बनाया गया था। इस साल मार्च में इस पुल के पिलर में दरारें देखी गईं जिसके बाद जिला प्रशासन ने 10 अप्रैल को इस पर आवागमन बंद कर दिया था।

By Akash DwivediEdited By: Publish:Wed, 30 Jun 2021 01:15 PM (IST) Updated:Wed, 30 Jun 2021 01:15 PM (IST)
शुक्लागंज गंगा पुल के पुराने पिलर पर ही बनेगा नया पुल, सीआरआरआइ की प्राथमिक जांच में 10 नंबर पिलर मिला जर्जर
तोड़कर नया पिलर बना नए तरीके से उस पर पुल बनाया जा सकता है

कानपुर, जेएनएन। केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान(सीआरआरआइ)ने कानपुर को शुक्लागंज से जोडऩे वाले पुराने गंगा पुल की प्राथमिक जांच पूरी कर ली है। अब संस्थान के वैज्ञानिक इसकी विस्तृत जांच करेंगे। संस्थान ने अपनी रिपोर्ट लोक निर्माण विभाग और उप्र सेतु निर्माण निगम को सौंप दी है। विस्तृत जांच के लिए लोक निर्माण विभाग से 29.5 लाख रुपये मांगे हैं। वैज्ञानिक एक माह तक आधुनिक मशीनों से पिलर की जांच कर देखेंगे कि वो कितना भार सह सकते हैं और उनकी उम्र कितनी है। प्राथमिक जांच में सिर्फ दस नंबर पिलर अति जर्जर मिला है। इसे तोड़कर नया पिलर बना नए तरीके से उस पर पुल बनाया जा सकता है। पिलर 50 से 60 साल तक भार सह सकने की स्थिति में होंगे तो इसी पिलर पर साढ़े पांच मीटर चौड़ी सड़क बनेगी।

रिपोर्ट के अनुसार कानपुर से शुक्लागंज को जोडऩे के लिए 1875 में गंगा के ऊपर दो मंजिला पुल बनाया गया था। इस साल मार्च में इस पुल के पिलर में दरारें देखी गईं, जिसके बाद जिला प्रशासन ने 10 अप्रैल को इस पर आवागमन बंद कर दिया था। पिलर ईंट से बनाए गए हैं। पिलर का निचला हिस्सा, ऊपरी हिस्से से बड़ा है। दोनों के कुएं (पिलर का जमीन में दबा हुआ हिस्सा) स्टील गार्डर से निचले हिस्से में जुड़े हुए हैं। इसके साथ ही हर पिलर के बगल में एक कुआं भी है, जो उपयोग में नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिलर नंबर 10 सबसे ज्यादा खतरनाक है। इसका उपयोग नहीं हो सकता है। पुल में लकड़ी के गार्डर का इस्तेमाल हुआ है। ये गार्डर भी टूट चुके हैं।

जाम हो गई थीं बेयरिंग : जांच में पता चला कि समय-समय पर पीडब्ल्यूडी ने पुल की टेक्निकल जांच नहीं कराई। इस वजह से बेयरिंग जाम हो गईं। पुल के एक्सपेंशन के ज्वाइंट में भी डामर भर गया।

पुराने को उखाड़ कर बनाया जाएगा नया डेक : सीआरआरआइ के वैज्ञानिक एक तो पुल की जांच करेंगे दूसरे इसकी डिजाइन भी तैयार करेंगे। ऐसी डिजाइन बनाई जाएगी कि पुराने डेक (तीन मीटर सड़क को पिलर के ऊपर से हटाकर) की जगह नया डेक बनाया जाएगा। ऐसी डिजाइन बनेगी कि यह पुल आने वाले 50 से 60 वर्ष तक उपयोग में रहे। अब विस्तृत जांच में पता चलेगा कि 10 नंबर के अलावा कौन- कौन से पिलर को तोड?े की जरूरत पड़ेगी।

इनका ये है कहना सीआरआरआइ ने अपनी रिपोर्ट दी है। पुराने पुल के पिलर पर ही नई सड़क बनाकर चौड़ा किया जाएगा। इसकी डिजाइन के लिए 29.5 लाख रुपये मांगे गए हैं। रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को दी जाएगी।

                                                                 मुकेश चंद्र शर्मा, अधिशासी अभियंता पीडब्ल्यूडी

जांच रिपोर्ट मिली है, उसका अध्ययन भी कर लिया है। अब विस्तृत रिपोर्ट एक माह में तैयार करने के लिए ही सीआरआरआइ की ओर से बजट मांगा गया है। जल्द ही प्रक्रिया पूरी कर जांच कराई जाएगी।

                                                                    राकेश सिंह, महाप्रबंधक सेतु निगम  

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