अब डाॅक्टर छोटा चीरा लगा दिमाग से निकालेंगे खून के थक्के, जानिए जीएसवीएम के नए न्यूरो विभाग में क्या होंगी खूबियां
प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई) के तहत 200 करोड़ रुपये से जीएसवीएम मेडिकल कालेज के एलएलआर अस्पताल (हैलट) के जीटी रोड साइड में मल्टी सुपर स्पेशलिटी ब्लाक बनकर तैयार है। अब उपकरण स्थापित करने का कार्य शुरू है।
कानपुर, जागरण संवाददाता। जीएसवीएम के मल्टी सुपर स्पेशलिटी ब्लाक में नया न्यूरो रेडियोडायग्नोस्टिक विभाग बनाया गया है। जहां न्यूरोलाजिकल जांचों की सुविधा और प्रोसिजर भी किए जाएंगे। इसके लिए अत्याधुनिक सीटी स्कैन व एमआरआइ मशीन समेत एडवांस उपकरण मंगाए गए हैं। अस्थाई बिजली का कनेक्शन मिलने के बाद उपकरणों की स्थापना का कार्य शुरू है। नए विभाग में इन आधुनिक उपकरणों की मदद से न्यूरोलाजिकल प्रोसिजर संभव होंगे। उसमें छोटे से चीरे से दिमाग से खून के थक्के आसानी से निकाले जा सकेंगे। इसके अलावा ब्रेन की एंजियोग्राफी भी संभव होगी। इसके अलावा दिमाग की नसों में ब्लाकेज, ट्यूमर और अन्य जटिलता का पता लगाया जा सकेगा, जिससे इलाज आसान होगा।
प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई) के तहत 200 करोड़ रुपये से जीएसवीएम मेडिकल कालेज के एलएलआर अस्पताल (हैलट) के जीटी रोड साइड में मल्टी सुपर स्पेशलिटी ब्लाक बनकर तैयार है। अब उपकरण स्थापित करने का कार्य शुरू है। न्यूरो डायग्नोस्टिक विभाग में जापान से मंगाई गई एडवांस सीटी स्कैन मशीन आ गई है, जो साढ़े सात करोड़ रुपये की है। उसकी क्षमता 128 स्लाइस (एक मिनट में 128 राउंड) है। इसकी मदद से जांच करने में अंदर के अंग की एक-एक नसों को आसानी से देखा और समझा जा सकेगा। पीएमएसएसवाई के नोडल अफसर डा. मनीष सिंह का कहना है कि एडवांस टेक्नोलाजी की हाई डेफिनिशन स्कैन है, इसकी मदद से हार्ट, ब्रेन और शरीर के किसी भी अंग की नसों की एंजियोग्राफी की जा सकेगी। ब्रेन में खून की आपूर्ति का भी पता लगाया जा सकेगा। रीढ़ की हड्डी का सीटी स्कैन भी संभव होगा।
ब्रेन के नसों के गुच्छे का इलाज: कई बार ब्रेन में नसों के गुच्छे यानी एनुरिजम हो जाता है। नसों के गुच्छे बनने से नसों में खून की रुकावट होने से ब्लीडिंग का खतरा रहता है। ऐसे में अलग-अलग तरह के क्वाइल डालते हैं। ताकि नसों को सुरक्षित रखा जा सके, जिससे ब्लीडिंग न होने पाए।
सुपरस्पेशलिटी कोर्स डीएम की पढ़ाई: न्यूरो डायग्नोस्टिक विभाग में सुपर स्पेशलिटी कोर्स में डीएम की पढ़ाई भी होगी। साथ ही मरीजों को अत्याधुनिक चिकित्सकीय सुविधाएं भी मुहैया होंगी। यहां पढ़ाई करने वाले रेजीडेंट विशेषज्ञों के निर्देशन में न्यूरोलाजिकल इंटरवेंशन व क्लाट रीट्रेवल टेक्नीक एवं थम्बोलेक्टिक थेरेपी से जुड़े प्रोसिजर करेंगे।