पांडु नदी को अतिक्रमणमुक्त करने के लिए न सर्वे न टीम
साल दर साल पांडु नदी अतिक्रमण से घिरती गई और इसका परिणाम रहा कि आसपास के लोग पानी से घिर गए।
जागरण संवाददाता, कानपुर : साल दर साल पांडु नदी अतिक्रमण से घिरती गई और इसका परिणाम रहा कि आसपास के लोग पानी से घिर गए। नदी किनारे और अंदर क्षेत्र तक अवैध निर्माणों के चलते जल निकासी का रास्ता ही बंद हो गया और कई इलाके जलमग्न हो गए। चार से पांच फीट जलभराव होने पर अफसरों की नींद टूटी तो मौके पर जांच में माना गया कि अवैध निर्माण की वजह से ही यह हाल हुआ। डीएम ने गंभीरता दिखाते हुए केडीए और नगर निगम को अवैध कब्जे चिह्नित करने के आदेश भी दिए, लेकिन इस पर अब तक कागजी कवायद ही चल रही है। सर्वे तो दूर की बात है, आदेश के एक सप्ताह के बाद भी अब तक दोनों विभागों ने जांच टीम तक नहीं बनाई है।
पांडु नदी में बीस साल पहले बाढ़ आई थी, इसके बाद कभी नहीं आई। शहर का विस्तार बढ़ता चला गया। केडीए अभियंताओं की मेहरबानी के चलते बिना भू उपयोग व नक्शे के पांडु नदी के किनारे खेत मकान में बदल गए। नदी से दो सौ मीटर क्षेत्र में निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट की रोक के आदेश ताक पर रख दिए गए। नदी क्षेत्र में धड़ल्ले से निर्माण होते रहे। केडीए और नगर निगम की अनदेखी से सुंदर नगर पनकी, मेहरबान सिंह का पुरवा, मर्दनपुरवा, टिकरा समेत पांडु नदी से आसपास अन्य क्षेत्रों में भी मकान बन गए। इस बारिश जब जलभराव हुआ तो चार दर्जन से ज्यादा गांवों में मुसीबत खड़ी हो गई। अभी भी जिस तरह विभाग अपनी करतूतों पर पर्दा डालने के लिए अतिक्रमण के प्रति नरमी दिखा रहे, उससे आने वाला समय और खतरनाक होगा।
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'कब्जों को हर हाल में हटाया जाएगा। नदी की भूमि पर बने मकान और दुकान समेत सभी निर्माण हटेंगे। जल्द ही मौका मुआयना कर कार्यवाही सुनिश्चित करूंगा।
- विजय विश्वास पंत, डीएम