नेशनल पैरा शूटर उमर ने पैर गंवाने के बाद भी नहीं मानी हार, परिश्रम के दम पर इंडिया टीम ट्रायल में हुआ चयन
कोच के मुताबिक उमर ने वर्ष 2016 में दुर्घटना में पैर गंवाने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी और शूटिंग खेल में पहचान बनाने के लिए रायफल थामी। कुछ कर गुजरने की चाहत ने उमर को बहुत जल्द ही राष्ट्रीय पहचान दिला दी।
कानपुर, जेएनएन। शूटिंग में शहर का नाम रोशन करने वाले खिलाड़ियों में दिव्यांग उमर का नाम सबसे ऊपर आता है। विपरीत परिस्थतियों को मात देकर पहचान बनाने वाले इस शूटर ने कठिनाईयों से निकलकर राष्ट्रीय फलक पर पहचान हासिल की है। हाल में संपन्न हुई जोनल पैराओलंपिक प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतने वाले शहर के दिव्यांग शूटर मोहम्मद उमर का चयन इंडिया टीम ट्रायल के लिए हुआ।
उमर इससे पहले नोएडा में हुई 43 वीं स्टेट रायफल शूटिंग चैंपियनशिप के पैरा वर्ग में छाप छोड़ते हुए स्वर्ण पदक पर कब्जा किया था। कोच अमर निगम ने बताया कि नेशनल चैंपियनशिप प्रतियोगिता में मोहम्मद उमर ने शानदार प्रदर्शन करते हुए प्रोन वर्ग में इंडिया टीम ट्रायल में जगह बनाई। उमर ने सर्वाधिक अंक हासिल कर टीम में चयन के लिए दावेदारी की। कोच के मुताबिक उमर ने वर्ष 2016 में दुर्घटना में पैर गंवाने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी और शूटिंग खेल में पहचान बनाने के लिए रायफल थामी। कुछ कर गुजरने की चाहत ने उमर को बहुत जल्द ही राष्ट्रीय पहचान दिला दी। वर्तमान में उमर शहर के प्रमुख व प्रदेश के चुनिंदा शूटिंग खिलाड़ियों में गिने जाते हैं। उमर बतातें हैं कि शूटिंग ने उन्हें पहचान दिलाई है टीम इंडिया ट्रायल में बेहतर प्रदर्शन कर खुद को साबित करूंगा। उन्होंने कहा कि शहर में शूटिंग खिलाड़ियों की भरमार हैं। अगर युवा खिलाड़ियों को बेहतर सुविधाएं मिलने लगे तो वे बड़े मंच पर खुद को साबित कर सकेंगे।