MBBS छात्र इंटर्नशिप के दौरान सीख सकेंगे पुरातन भारतीय चिकित्सा पद्धति के गुर, एक सप्ताह चलेगी ट्रेनिंग
एनएमसी के नए मौसौदे में एमबीबीएस छात्र-छात्राओं को 12 महीने की इंटर्नशिप के दौरान 17 विभागों में ट्रेनिंग दी जाएगी। इसमें 14 क्लीनिकल एवं पैथालाजिकल विभागों की ट्रेङ्क्षनग अनिवार्य रूप से करनी होगी। इसके अलावा भारतीय पुरातन चिकित्सा पद्धति समेत तीन वैकल्पिक विभागों की भी ट्रेनिंग प्रदान की जानी है।
कानपुर, जेएनएन। नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने अपने नए मसौदे में मेडिकल छात्र-छात्राओं को एमबीबीएस के बाद इंटर्नशिप में भारतीय पुरातन चिकित्सा पद्धति के गुर से भी अवगत कराने का सुझाव दिया है। इंटर्नशिप के दौरान आयुष की किसी एक विधा को विकल्प के रूप में चयन कर सकते हैं। इसमें उन्हें आयुर्वेद, योगा, यूनानी, सिद्धा एवं होम्योपैथी में से किसी एक का एक सप्ताह तक क्लीनिक ज्ञान दिया जाएगा।
एनएमसी ने एमबीबीएस के बाद एक साल की इंटर्नशिप का नया मसौदा-2021 तैयार किया है। एमबीबीएस छात्र-छात्राओं की इंटर्नशिप के दौरान रोटेशन के आधार पर तैनाती की जानी है। उसका पूरा शेड्यूल तैयार किया है। उस शेड्यूल में भारतीय पुरातन चिकित्सा पद्धति से भी अवगत कराने का सुझाव दिया है। हालांकि इसे विकल्प के तौर पर ही रखा गया है। इसमें कहा गया है कि इंटर्नशिप के दौरान छात्र-छात्राएं आयुर्वेद, योगा, यूनानी, सिद्धा एवं होम्योपैथी में से किसी एक का चयन कर सकते हैं।
इंटर्नशिप में 17 विभागों में ट्रेनिंग: एनएमसी के नए मौसौदे में एमबीबीएस छात्र-छात्राओं को 12 महीने की इंटर्नशिप के दौरान 17 विभागों में ट्रेनिंग दी जाएगी। इसमें 14 क्लीनिकल एवं पैथालाजिकल विभागों की ट्रेङ्क्षनग अनिवार्य रूप से करनी होगी। इसके अलावा भारतीय पुरातन चिकित्सा पद्धति समेत तीन वैकल्पिक विभागों की भी ट्रेनिंग प्रदान की जानी है।
इनका ये है कहना:
एनएमसी के नए मसौदे में 12 माह की अनिवार्य रोटेटिंग इंटर्नशिप को लागू किया गया है। कहा गया है कि इंटर्न छात्र-छात्राओं की अगर इस दौरान उपस्थिति संतोषजन नहीं होने और मूल्यांकन में असफल रहने पर उसकी अवधि बढ़ाई जा सकती है। इस दौरान उन्हें 17 विभागों में कार्य कराया जाना है, उसमें से तीन वैकल्पिक हैं, उसमें से ही एक आयुष है। - डा. मनीष सिंह, न्यूरो सर्जरी विभागाध्यक्ष एवं एनएमसी के विशेषज्ञ, जीएसवीएम मेडिकल कालेज।