जयंती पर विशेष: प्रेमचंद ने फतेहपुर में लिखी थी 'गोदान' की पटकथा, दामाद की स्मृतियां सहेजे है ससुराल
Munshi Premchand Birth Anniversary उर्दू साहित्य में रुचि रखने वाले शिवरानी के पड़ोसी 70 वर्षीय अमानउल्ला कहते हैं कि बुआ जब यहां आती थीं तो साहित्य पर जरूर चर्चा करती थीं। मुंशी जी की मृत्यु के बाद उन्होंने प्रेमचंद घर में किताब लिखी।
फतेहपुर, [गोविंद दुबे]। Munshi Premchand Birth Anniversary बहुत कम ही लोग जानते होंगे कि धनपतराय से मुंशी प्रेमचंद बने प्रख्यात उपन्यासकार का जिले की माटी से गहरा नाता था। यहां खागा तहसील के सलेमपुर गोली गांव में उनकी दूसरी शादी जमींदार देवीप्रसाद की बाल विधवा बेटी शिवरानी से हुई थी। बताते हैं, गोदान उपन्यास की पटकथा मुंशी जी ने ससुराल सलेमपुर में ही तैयार की थी। बनारस के लमही में 31 जुलाई, 1880 में जन्मे मुंशी प्रेमचंद यहां अक्सर आते-जाते रहे।
सलेमपुर गांव के मुंशी देवीप्रसाद कायस्थ जमींदार थे। उन्होंने कायस्थ बाल विधवा उद्धारक पुस्तिका लिखी, जिसमें बाल विधवा बेटी शिवरानी के विवाह का इश्तहार प्रकाशित किया था। पहली पत्नी से खिन्न चल रहे मुंशी प्रेमचंद की उसपर निगाह पड़ी तो उन्होंने विवाह का प्रस्ताव दिया। वर्ष 1905 में शिवरानी का विवाह उनसे हो गया। वर्तमान में उनकी ससुराल का घर भले खंडहर हो चुका है, लेकिन गांव के बुजुर्ग यादें सहेजे हैं। परिवार की 65 वर्षीय बेलापती श्रीवास्तव कहती हैं, बुआ सास शिवरानी का निधन वर्ष 1976 में हुआ था। वह अक्सर मुंशी जी के बारे में बताती थीं। वह यहां खाली समय में बाहर वाले कमरे में कहानी आदि लिखा करती थीं। उनके बेटे अमृत राय व प्रभात राय का बचपन यहीं बीता है। हम लोग भी बनारस में महीनों रुकते थे। परिवार के अन्य सदस्य बनारस, प्रयागराज के साथ कुछ लोग लंदन में रहते हैं। वरिष्ठ साहित्यकार व संत चंद्रदास शोध संस्थान के निदेशक डा. चंद कुमार पांडेय बताते हैं, विवाह के पहले मुंशी जी की कटोघन स्टेशन में शिवरानी से मुलाकात हुई थी। वह अपनी ससुराल व पत्नी से बेहद लगाव रखते थे। गोदान उपन्यास में ससुराल के कई तथ्य मेल खाते हैं। इससे पता चलता है कि इस उपन्यास की पटकथा उन्होंने सलेमपुर में ही तैयार की होगी। कहा कि प्रख्यात उपन्यासकार का जिले से जुड़ाव व शिवरानी देवी के साहित्य के योगदान को आगे की पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए सलेमपुर में प्रेमचंद-शिवरानी स्मारक बनना चाहिए।
'प्रेमचंद घर में' लिखी किताब: उर्दू साहित्य में रुचि रखने वाले शिवरानी के पड़ोसी 70 वर्षीय अमानउल्ला कहते हैं कि बुआ जब यहां आती थीं तो साहित्य पर जरूर चर्चा करती थीं। मुंशी जी की मृत्यु के बाद उन्होंने 'प्रेमचंद घर में' किताब लिखी। वह जब भी गांव आती थीं तो मुंशी जी की कोई न कोई किताब जरूर भेंट करती थीं। मुंशी जी उर्दू में भी अच्छा लिखते थे।