Mulayam Singh Yadav 19 साल पूर्व 29 अगस्त को तीसरी बार बने थे सीएम, सैफई गांव को दिलाई पहचान

Mulayam Singh Yadav आज ही दिन 19 साल पहले वर्ष 2003 में उत्तर प्रदेश के तीसरी बार मुख्यमंत्री बने थे। इसके बाद ही इटावा का सैफई गांव पूरे प्रदेश में चर्चा में आया। एक माडल गांव के रूप में विकसित हुआ सैफई यहां की पहचान बन गया।

By Abhishek VermaEdited By: Publish:Mon, 29 Aug 2022 08:47 PM (IST) Updated:Mon, 29 Aug 2022 08:47 PM (IST)
Mulayam Singh Yadav 19 साल पूर्व 29 अगस्त को तीसरी बार बने थे सीएम, सैफई गांव को दिलाई पहचान
Mulayam Singh Yadav 19 साल पूर्व 29 अगस्त को तीसरी बार बने थे यूपी के सीएम।

इटावा, जागरण संवाददाता।  सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव Mulayam Singh Yadav 19 साल पहले वर्ष 2003 में 29 अगस्त को तीसरी बार बतौर मुख्यमंत्री प्रदेश की बागडोर संभाली। उन्होंने हरित क्रांति और ग्राम्य विकास को लेकर खूब काम किए। उन्हें जब-जब सरकार चलाने का मौका मिला तो अपने काम व चुटीले अंदाज से विरोधियों को भी सराहना के लिए विवश कर दिया। सैफई गांव पूरे प्रदेश में चर्चा में आया। एक माडल गांव के रूप में विकसित हुआ सैफई यहां की पहचान बन गया। वहीं, उनके विधानसभा क्षेत्र जसवंतनगर की सड़कें भी चमचमाती नजर आईं।

सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव 1967 में पहली बार जसवंतनगर विधानसभा क्षेत्र से संयुक्त समाजवादी पार्टी प्रत्याशी के रूप में विधायक चुने गए थे। 1977 में प्रदेश में जनता पार्टी की सरकार में सहकारिता मंत्री बने। इटावा में ऊसर भूमि को उपजाऊ बनाने में योगदान दिया। यही वजह है कि आज धान, आलू और गेहूं के उत्पादन में जिला अग्रणी है। 1980 से 1988 तक विपक्ष के नेता के रूप में वह संघर्षरत रहे। 1989 में जनता दल की सरकार में वह प्रदेश के पहली बार मुख्यमंत्री बने तो सड़क, शिक्षा, बिजली, पानी, स्वास्थ्य की ओर विशेष रूप से ध्यान दिया। 

1991 के मार्च में सरकार गिरने के बाद वह 1993 में सपा-बसपा सरकार में फिर मुख्यमंत्री बने। सैफई में मेडिकल कालेज सहित कई बड़े कार्य कराए। 1996 में देश के रक्षा मंत्री बने तो इटावा-मैनपुरी रेलवे मार्ग पर कार्य शुरू कराया। 29 अगस्त, 2003 में बसपा सरकार गिरने पर वह तीसरी बार मुख्यमंत्री बने। इससे अधूरी विकास योजनाओं का विस्तार फिर से गतिमान हुआ। इटावा का उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय सैफई, इटावा सफारी पार्क जैसे बड़े प्रोजेक्ट उन्हीं की देन हैं।

विरोधियों को हमेशा शिकस्त दी, बचपन में सांपों से डरते थे मुलायम

राजनीति के अखाड़े के माहिर खिलाड़ी समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव ने अपने राजनीतिक जीवन में विरोधियों को हमेशा शिकस्त दी। उनके धोबी पाट दांव से राजनीतिक विरोधी हमेशा परेशान रहे। मुलायम सिंह यादव के साथ बचपन बिताने वाले सुभाष यादव बताते हैं कि नेताजी को सांपों से बहुत डर लगता है। वे आज भी सांप देखकर डर जाते हैं। सूबे के मैनपुरी जनपद के करहल कस्बे के रहने वाले सुभाष यादव, मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक गुरु कहे जाने वाले चौधरी नत्थू सिंह के बेटे हैं। उन्हें मुलायम सिंह यादव ने 1998 में एमएलसी भी बनवाया था, फिर बाद में मंत्री भी बनाया। मुलायम सिंह के साथ बचपन में गुजारे अपने संस्मरणों में वे बताते हैं कि जब कभी हम लोग नेता जी के साथ किसी शादी समारोह में जाते थे, तो हम लोग उन्हें रबर के सांप से डरा कर काफी हंसी मजाक किया करते थे। मुलायम सिंह सफेद धोती-कुर्ता व सिर पर लाल टोपी पहनकर उनके साथ मोटरसाइकिल पर बैठ गांव-गांव चुनाव प्रचार के लिए जाते थे। जबकि चौ. नत्थू सिंह अपनी जीप में बैठकर गांव-गांव शिष्य मुलायम के चुनाव के लिए मेहनत करते थे।

छुआछूत व जातिगत व्यवस्था की खिलाफत की

मुलायम सिंह यादव के बालसखा व वर्तमान में सैफई गांव के प्रधान रामफल वाल्मीकि बताते हैं, वर्ष 1967 के चुनाव में उनकी उम्र कोई 22 वर्ष थी। उन्होंने भी इस चुनाव में अपने सखा मुलायम को जिताने के लिए काफी मेहनत की थी। उस समय से ही वह छुआछूत, जातीय व्यवस्था की खिलाफत करते नजर आए। मुलायम जब भी गांव आते थे, तो हमारे समाज के लोगों से गले मिलते थे और हम लोगों को अखाड़े में पहलवानी भी सिखाते थे।

एक संस्मरण याद करते हुए बताया कि यह किस्सा उन दिनों का है, जब नेताजी सूबे की सरकार में सहकारिता मंत्री थे। इसी समय नेताजी ने अपने छोटे भाई राजपाल सिंह यादव का एक शादी समारोह अपने गांव सैफई में आयोजित किया। इस समारोह में उन्होंने इलाके के सभी वाल्मीकि व अन्य दलित समाज को निमंत्रित किया था। रामफल वाल्मीकि बताते हैं कि बुजुर्ग प्रभुदयाल, जब अपने समाज के लोगों के साथ भोजन करने पंडाल में पहुंचे तो नेताजी ने उन्हें गले लगाते हुए आग्रह किया। प्रभुदयाल इस आग्रह पर नेताजी से बोले कि हम लोग अलग बैठकर भोजन कर लेंगे, लेकिन मुलायम सिंह यादव नहीं माने और पंडाल में सबके साथ बैठाकर भोजन कराया।

समाजवादी विचारधारा में बालीवुड ग्लैमर का प्रवेश

देश के दिग्गज लोहियावादी नेता मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक सफर में मुंबई के बालीवुड का भी अहम रोल रहा है। यह वर्ष 1996 की बात है जब वह एक हवाई यात्रा कर रहे थे। उसी हवाई यात्रा में मुलायम सिंह यादव की मुलाकात अमर सिंह से हुई। तब वह देश के रक्षामंत्री थे। अमर-मुलायम की यह मुलाकात दोस्ती में तब्दील होने का पता लोगों को तब लगा जब वर्ष 2000 में मुलायम सिंह यादव ने अमर सिंह को समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बना दिया। जब पहली बार 2002 में सैफई में एक महोत्सव का आयोजन हुआ, तब अमर सिंह पहली बार सदी के महानायक अमिताभ बच्चन समेत कई बालीवुड हस्तियों को लेकर यहां महोत्सव में पहुचे थे। वर्ष 2003 में मुलायम सिंह यादव प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए। उन्होंने इटावा व सैफई में कई विकास की योजनाएं शुरू कीं। अमर सिंह को प्रदेश की औद्योगिक विकास परिषद का चेयरमैन बना दिया, जिससे कारपोरेट जगत की हस्तियां उनसे जुड़ती चली गईं।

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