मेडिकल कालेज में जर्मनी से आई मशीन, आसानी पता चलेगा दिमाग की नसों में बदलाव
जीएसवीएम मेडिकल कालेज के न्यूरो डायग्नोस्टिक विभाग में अत्याधुनिक एमआरआइ मशीन 14 करोड़ रुपये की मंगाई गई है । इस मशीन को पीएमएसएसवाई के मल्टी सुपर स्पेशियलिटी ब्लाक में लगाई जाएगी। मशीन अक्टूबर तक आने की उम्मीद है।
कानपुर, जेएनएन। जीएसवीएम मेडिकल कालेज के मल्टी सुपर स्पेशियलिटी ब्लाक में जर्मनी से एडवांस एमआरआइ मशीन मंगाई गई है। इसकी मदद से दिमाग की नसों में होने वाले बदलाव तक का पता चल सकेगा। जन्मजात ब्रेन से जुड़ी बीमारियों और मिर्गी की वजह और ब्रेन में खून की सप्लाई में रुकावट व किस हिस्से में कम आपूर्ति है, उसका भी पता चल सकेगा। वहीं, अंदरुनी हिस्से के ट्यूमर का पता लगाकर उसे आसानी से निकाला जा सकेगा।
एलएलआर अस्पताल के जीटी रोड साइड में प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई) के तहत 200 करोड़ रुपये से मल्टी सुपर स्पेशियलिटी ब्लाक का निर्माण कराया गया है। सात मंजिला बिल्डिंग बनकर तैयार है। अब उपकरण मंगाए जा रहे हैं। इस ब्लाक में बन रहे न्यूरो डायग्नोस्टिक विभाग में 14 करोड़ रुपये की जर्मनी से सीमेंस कंपनी की अत्याधुनिक एमआरआइ मशीन मंगाई जा रही है, जिसमें मशीन की कीमत 7 करोड़ रुपये है, जबकि सात करोड़ रुपये के साफ्टवेयर एवं अटैचमेंट हैं।
ये जांचें भी होंगी संभव
डिफ्यूजन वेटेड इमेजेज : ब्रेन स्ट्रोक या ब्रेन में होने वाले शुरुआती बदलाव भी देखे जा सकेंगे।
परफ्यूजन वेटेड इमेजेज : दिमाग की नसों में खून की सप्लाई, किस हिस्से में नहीं जा रहा खून और किस नस में खून का प्रेशर कम है।
सिने एमआरआइ : दिमाग के चारों तरफ भरे पानी यानी सीएसएफ में कितना प्रेशर है। वह किस दिशा में चल रहा है। उसमें कोई रुकावट तो नहीं है।
एमआर एंजियोग्राफी एवं टैक्टोग्राफी : दिमाग में ट््यूमर बनने पर नसें किस दिशा की तरफ जा रही हैं। ट््यूमर की वजह से कितना प्रभावित हुईं हैं। नसों को देखते हुए ट्यूमर निकाला जा सकेगा।
-एमआरआइ मशीन तीन टेक्सला की मंगाई गई है, जो अक्टूबर के मध्यम तक आ जाएगी। इस अत्याधुनिक मशीन से ब्रेन से जुड़ी सभी जांचें और प्रोसीजर संभव होंगे। इसमें ब्रेन की थ्रीडी इमेज भी मिलेगी, जो विभिन्न प्रकार के प्रोसीजर करने में मददगार होगी। -डा. मनीष सिंह, न्यूरो सर्जरी विभागाध्यक्ष एवं पीएमएसएसवाई के नोडल अफसर