यहां पर कूड़ा बढ़ा रहा है कुंवारों की फौज, तय होने के बाद भी टूट जाती शादियां Kanpur News

भाऊसिंह कूड़ा प्लांट के आसपास गांवों में सांस लेना तक दूभर कोई भी अपनी बेटी की शादी इन गांवों में नहीं करना चाहता।

By Edited By: Publish:Mon, 11 Nov 2019 01:48 AM (IST) Updated:Tue, 12 Nov 2019 09:51 AM (IST)
यहां पर कूड़ा बढ़ा रहा है कुंवारों की फौज, तय होने के बाद भी टूट जाती शादियां Kanpur News
यहां पर कूड़ा बढ़ा रहा है कुंवारों की फौज, तय होने के बाद भी टूट जाती शादियां Kanpur News

कानपुर, जेएनएन। स्वच्छ भारत मिशन जैसे सफाई के महाअभियान में अधिकारियों की नाकामी से कानपुर कूड़े के पहाड़ तले दबा जा रहा है। अब तो बात गंदगी व बदबू से बहुत आगे बढ़ चुकी है। भाऊसिंह कूड़ा प्लांट के आसपास गांवों में कूड़े की वजह से शादियां तक होना बंद हो गई हैं। बदुआपुर गांव के 30 वर्षीय सर्वेश राजपूत का गुस्सा तो कूड़े की बात सुनते ही फट पड़ता है। इसी कूड़े के चक्कर में उनकी तय शादी टूट चुकी है। वह कहते हैं, गंदगी गांव के लिए अभिशाप बन गई है। उनकी शादी दिसंबर में खागा फतेहपुर में तय हुई थी। वरीक्षा के बाद लड़की वालों ने शादी तोड़ दी। कारण बताया कि गंदगी और दूषित पानी के कारण उनकी बेटी नहीं रह पाएगी। सर्वेश जैसे और भी कुंवारे प्लांट के आसपास गांवों में मिल जाएंगे, जिनकी शादी की उम्मीद इस कूड़े की वजह से पूरी नहीं हो रही है। 

एक तरफ अरबों रुपये खर्च करके शहर को स्मार्ट बनाने का ख्वाब दिखाया जा रहा लेकिन, करोड़ों रुपये खर्च होने के बाद भी सरकारी मशीनरी शहर को स्वच्छ बना पाने में फेल साबित हो रही है। कूड़ा प्लांट और आसपास का हाल देख आप हिल जाएंगे। जहां पर खड़े होकर सांस लेना तक दूभर है। लाखों मीट्रिक टन कूड़े के रिसने से भूगर्भ जल भी दूषित हो रहा है। बदुआपुर गांव के रामचंद (75 वर्षीय) ने बताते हैं कि वर्ष 2010 में जब कूड़ा निस्तारण प्लांट लगा था तो बताया गया था कि कूड़े के निस्तारण के साथ रोजगार मिलेगा लेकिन इससे अब जिंदगी नरक बन गई है। गांव में कोई अपनी बेटी की शादी नहीं करना चाहता है। 

  शादी न हो पाने पर युवकों का दर्द 

पांच साल से घरवाले लड़की ढूंढ रहे हैं लेकिन कूड़े के कारण कोई अपनी लड़की की शादी गांव में नहीं करना चाहता है।

-घनी राजपूत (32 वर्षीय),बदुआपुर

कूड़े के कारण कोई जगह भी नहीं खरीदना चाहता है। ऐसे में जमीन छोड़कर कहां जाए। शादी वाले भी नहीं आ रहे हैं।

-रवि राजपूत, (31 वर्षीय), बदुआपुर

परचून की दुकान चलाकर अच्छी कमाई कर लेते है। पैसे की कोई कमी नहीं है, फिर भी कोई अपनी बेटी की शादी कोई नहीं करना चाहता है। 

-महेंद्र सिंह सेंगर (38 वर्षीय), बदुआपुर

प्लांट लगा था तो लगा कि रोजगार मिलेगा और गांव में खुशहाली आएगी लेकिन, अब मुसीबत है। पानी दूषित हो गया है। कोई अपनी लड़की की शादी नहीं करना चाहता है। 

-रामजी मिश्र (36 वर्षीय), सरायमीता पनकी

अब लगता है कि घर छोडऩा पड़ेगा तभी शादी हो पाएगी। यहां पर कोई अपनी बेटी देने को तैयार नहीं। 

-भजन लाल (37 वर्षीय) सरायमीता   

प्लांट से जुड़े गांव 

गांव            आबादी 

बदुआपुर       1000

सरायमीता     8000

भाऊसिंह पनकी  1100 

पनकी पड़ाव   1000

पनका बहादुर  4000 

बनपुरवा         2000

इनका ये है कहना

डंपिंग प्लांट का संचालन विभागीय स्तर पर शुरू कराया जा रहा है। साथ ही शासन स्तर पर भी कंपनी फाइनल करने को लेकर बातचीत हो रही है। वहीं गांव में फैली गंदगी का निस्तारण करने के लिए पंचायत विभाग के साथ अभियान शुरू किया जाएगा। 

- अक्षय त्रिपाठी, नगर आयुक्त

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