नगर निगम की इस गलती को अब भुगतना पड़ेगा कानपुरवासियों को... अभी से सताने लगी लोगों को चिंता
बेशक नगर निगम के अभियंता दावा करें कि 85 फीसद नाले साफ हो चुके हैं लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। तमाम नालों के बाहर सिल्ट यूं ही निकालकर डाल दी गई हो बारिश में फिर नाले में ही जाएगी।
कानपुर, जेएनएन। मानसून की पहली बारिश गर्मी से झुलस रहे लोगों के लिए राहत लाएगी, अच्छी बारिश कृषि के लिए भी फायदेमंद रहेगी। मौसम खुशगवार होगा। हालांकि जिम्मेदारों की लापरवाही और अव्यवस्थाओं की वजह से ये राहत आफत भी बनेगी लोगों को समस्याओं से जूझना होगा। नालों की पूरी तरह सफाई न होने का दंश भी झेलना पड़ेगा। टूटी और खोदी सड़कें मुसीबत बनेंगी।
मानसून की पहली बारिश के साथ शहर में मुसीबतों की दस्तक भी होगी। बेशक नगर निगम के अभियंता दावा करें कि 85 फीसद नाले साफ हो चुके हैं, लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। तमाम नालों के बाहर सिल्ट यूं ही निकालकर डाल दी गई हो बारिश में फिर नाले में ही जाएगी। नालियां कूड़ों से अटी पड़ी हैं जो उफनाएंगी और जलभराव होगा। वो भी तब जब मंडलायुक्त डॉ. राजशेखर और नगर आयुक्त अक्षय त्रिपाठी लगातार नालों की सफाई को लेकर सख्ती बरत रहे हैं, लेकिन अभियंता हैं कि टस से मस नहीं हो रहे। सबसे खराब हाल जोन छह का है। गुबा गार्डन से कल्याणपुर और छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय तक जाने वाला नाला अभी तक साफ नहीं हुआ है।
इससे एक दर्जन मोहल्लों की जल निकासी जुड़ी है। केशवनगर की तरफ भी नाला साफ नहीं हुआ है। शास्त्रीनगर, रफाका नाला और सीसामऊ नाला का भी यही हाल है। स्वास्थ्य विभाग के नाले भी कागजों में ही साफ हो रहे हैं। पार्षदों ने इसकी शिकायत भी की है। मसवानपुर, साकेत नगर, गोविंद नगर, शास्त्रीनगर, बर्रा, महादेव नगर, गुजैनी समेत कई जगह नाले और गली पिट नहीं साफ नहीं की गई है, लिहाजा जलभराव होना तय है।
कागजों में 85 फीसद नाले साफ : नगर निगम के अभियंताओं ने नगर आयुक्त को दी रिपोर्ट में कहा है कि 85 फीसद नाले साफ हो चुके हैं। शेष जल्द ही साफ कर दिए जाएंगे, लेकिन असलियत में हाल किसी ने छिपा नहीं है।
खोदी सड़कें व खुले मैनहोल जानलेवा : मैनावती मार्ग से सिंहपुर, विकास नगर, 80 फीट रोड, पीरोड, रावतपुर क्रासिंग से काकादेव, फजलगंज, श्यामनगर, ग्वालटोली समेत कई सड़कें खोदी और उखड़ी हैं। बारिश में ये और मुसीबत बन जाएंगी। श्यामनगर की सड़क को पिछले दो साल से खोदी पड़ी है। यहां से प्रतिदिन पचास हजार से ज्यादा लोग गुजरते हैं। कई तो गिरकर चुटहिल भी हो चुके हैं। यही हाल मैनावती मार्ग से सिंहपुर का है। शास्त्रीनगर, काकादेव, शारदानगर, गीतानगर, किदवईनगर समेत कई इलाकों में मैनहोल व नाले की स्लैब खुली पड़ी है। कई बार लोग गिर भी चुके हैं।
जलभराव से निपटने की तैयारी नहीं : अभी तक नगर निगम ने जलभराव से निपटने की कोई तैयारी नहीं की है। जलभराव वाले स्थानों पर पंप नहीं लगाए गए हैं।
सदन में होगा हंगामा : पार्षद नवीन पंडित, मनोज पांडेय, अंजू मिश्रा, अरविंद यादव, कविता सिंह, आरती गौतम, गिरीश चंद्रा ने कहा कि नाले साफ न होने को लेकर 15 जून को होने वाले नगर निगम सदन में अफसरों से सवाल किया जाएगा। पूछा जाएगा कि जलभराव का दोषी कौन होगा।
ये होंगे फायदे
खाद्यान्न उत्पादन बढ़ेगा : बारिश अच्छी होने से कृषि पर सबसे अच्छा प्रभाव पड़ता है। जहां सिंचाई की सुविधा नहीं है, वहां बारिश होने से फसल अच्छी हो सकेगी।
पानी की कमी दूर होगी : अच्छे मानसून से काफी हद तक पानी की समस्या का भी समाधान होता है। एक तो नदियों, तालाबों में पर्याप्त पानी हो जाता है। दूसरे, भूजल भी रिचार्ज होता है।
गर्मी से राहत : मानसून की बारिश जहां खेती-बाड़ी, जलाशयों, नदियों को पानी से लबालब कर देती हैं वहां भीषण गर्मी से तप रहे देश को भी गर्मी से राहत प्रदान करती है।
इनका ये है कहना नालों की समय पर सफाई न करने वाले अभियंताओं पर कार्रवाई की जाएगी। साथ ही जो नाले अभी तक साफ नहीं हुए हैं। उन्हेंं तेजी से साफ कराया जाएगा। - प्रमिला पांडेय, महापौर