कबाड़ के साथ कानपुर आई मिस फायर मिसाइल और हैंड ग्रेनड, 16 वर्ष बाद भेजी गईं महाराष्ट्र
जनवरी 2005 में शिकोहाबाद की प्रह्लाद स्टील ने संयुक्त अरब अमीरात से कबाड़ मंगाया था। इसे जूही रेलवे यार्ड इनलैंड कंटेनर डिपो में उतारा गया था। यह आइसीडी गोविंदपुरी पुल के नीचे है। कबाड़ को उतारते समय जांच की गई तो विस्फोटक की आशंका हुई।
कानपुर, जागरण संवाददाता। कबाड़ के साथ 16 वर्ष पहले कानपुर के जूही रेलवे यार्ड इनलैंड कंटेनर डिपो में आईं मिस फायर मिसाइलों और हैंड ग्रेनेड को आखिरकार महाराष्ट्र के वर्धा भेज दिया गया। प्रशासन, सेना, पुलिस की टीम को साथ में भेजा गया है। मिसाइलों की शिफ्टिंग को लेकर किसी तरह का कोई भय न फैले, इसलिए कुछ लोगों की टीम बना इन्हें गोपनीय तरीके से सड़क मार्ग से भेजा गया। अधिकारियों के अनुसार इन मिसाइलों को वर्धा में नष्ट किया जाएगा।
जनवरी 2005 में शिकोहाबाद की प्रह्लाद स्टील ने संयुक्त अरब अमीरात से कबाड़ मंगाया था। इसे जूही रेलवे यार्ड इनलैंड कंटेनर डिपो में उतारा गया था। यह आइसीडी गोङ्क्षवदपुरी पुल के नीचे है। कबाड़ को उतारते समय जांच की गई तो विस्फोटक की आशंका हुई। 13 कंटेनर की जांच में पाया गया कि युद्ध में इस्तेमाल की गईं सात जीवित और 70 मिस फायर मिसाइलें थीं। इसके अलावा हैंड ग्रेनेड भी थे। एक सप्ताह चली जांच के बाद इन सभी को कंटेनर में सुरक्षित पैक कर दिया गया। इसके बाद इन्हें नष्ट करने के लिए लगातार अलग-अलग स्तर पर फाइल चलती रही, लेकिन कुछ नहीं हुआ।
पिछले वर्ष अगस्त में बेरुत में विस्फोट के बाद उस समय के सीमा शुल्क आयुक्त वीबी शुक्ला ने 13 अगस्त को अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी को पत्र भेजकर इन मिसाइलों की जानकारी दी। इसके बाद अपर मुख्य सचिव ने जिलाधिकारी को इन्हें 15 सितंबर 2020 तक डिफ्यूज करने के निर्देश दिए, लेकिन फाइल फिर अलग-अलग स्तर पर चली। इस बार इसमें सेना को भी जोड़ा गया। आखिरकार सेना ने अपने स्तर से परीक्षण कर इन मिसाइलों को यहां से ले जाने का काम शुरू कर दिया। इसमें जिला प्रशासन, पुलिस कमिश्नरेट के अधिकारी शामिल किए गए और आखिर मिसाइल भरे कंटेनर यहां से रवाना कर दिए गए।