गंगा निर्मल करने में बह गए करोड़ों, नाले अब भी चोक
-नाले बंद किए गए लेकिन गंगा में गंदगी गिरना नहीं रुकी
जागरण संवाददाता, कानपुर: गंगा को निर्मल करने के लिए कई परियोजनाएं भी बनाई गईं, लेकिन गंगा निर्मल नहीं हुई। शहर में गंगा सफाई के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च कर दिए गए, लेकिन रानीघाट, मैगजीन, गोलाघाट, सत्तीचौरा, परमट, परमियापुरवा नाले के अलावा छोटे-छोटे कई नाले अभी गंगा में गिर रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 दिसंबर 2019 को कानपुर में गंगा समिति की बैठक की थी। उस समय अटल घाट से सीसामऊ नाला देखने गए थे। उनके आने पर सभी नाले बंद कर दिए गए, लेकिन आज स्थिति यह है कि कई नाले गंगा को प्रदूषित कर रहे हैं। नमामि गंगे के तहत 370 करोड़ से गंगा से जुड़े 34 वार्डो में सीवर लाइन साफ की गई थी, लेकिन वह अभी भी चोक पड़ी हुई है। तीन साल के बाद भी नहीं इसकी सफाई नहीं हो पाई है। गंगा में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टेनर्स इंडिया की याचिका पर जिला प्रशासन, जल निगम व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से हलफनामा मांगा था। कोर्ट में अधिकारियों ने पेश होकर हलफनामा दाखिल किया। उनसे यह पूछा गया था कि यह बताएं कि टेनरी से कितना उत्प्रवाह निकल रहा है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि हलफनामे की जांच कराई जाएगी। संतुष्ट न होने पर अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
क्षमता से अधिक चार सौ टेनरियां संचालित
टेनर्स इंडिया ने अपनी जनहित याचिका में कहा है कि जाजमऊ में चार सौ के करीब टेनरियां संचालित हैं, जबकि कॉमन इनफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता को देखते हुए इनकी संख्या बहुत अधिक है। ऐसे में प्रदूषण होना लाजमी है। जाजमऊ में 36 एमएलडी ट्रीटमेंट प्लांट बना हुआ है। इसका इस्तेमाल नौ एमएलडी टेनरी के लिए व 27 एमएलडी सीवरेज के लिए होता है। अगर इस ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता 175 टेनरी से निकलने वाले उत्प्रवाह के लिए है तो यह बात विचारणीय है कि फिर लगातार टेनरियों की संख्या कैसे बढ़ती रही।