पेट काटकर किराया देने के बाद जानवरों की तरह आए प्रवासी
बस वाले ने पूरे पैसे लिए लेकिन बीच रास्ते में ही उतार दिया।
जागरण संवाददाता, कानपुर : पेट काटकर किराया जुटाया कि किसी तरह घर पहुंच जाएं, लेकिन आपदा में अवसर तलाशने वालों की कमी नहीं है। हम लोगों से मनमाना किराया वसूल लिया, जानवरों की तरह बस भरकर लाया और आधे रास्ते में छोड़ रहे हैं। अब आगे जाने के लिए हम किराया कहां से लाएं। एक बार तो किसी तरह से किराया दिया। मारने के लिए हम गरीब लोग ही मिले हैं। जब पूरा किराया लिया है तो मंजिल तक पहुंचाने की भी जिम्मेदारी है इनकी, लेकिन रामादेवी में ही जबरन बस से उतार रहे हैं। यह दर्द था गुजरात के वापी से शुक्रवार देर रात एक स्लीपर बस से रामादेवी फ्लाईओवर पहुंचे गाजीपुर के मलसा गांव निवासी बृजेश कुमार का।
बृजेश का कहना था कि गुजरात में वैसे भी लॉकडाउन की वजह से काम बंद चल रहा था। जो रुपया कौड़ी थी जोड़ा फिर भी किराया पूरा नहीं पड़ा तो रास्ते के खर्च के लिए गांव के रिश्तेदार से रुपये खाते में मंगाया था। ढाई हजार रुपये किराया दिया गाजीपुर पहुंचने तक का लेकिन देर रात बस चालक शैलेश ने गाड़ी रामादेवी फ्लाईओवर पर ही रोक दिया और अब जबरन उतार रहा है। बस्ती के सोनू और बिहार के बगहा निवासी मोहित चौधरी ने बताया कि कुल 38 स्लीपर की बस है। एक स्लीपर में पांच से छह लोगों को बैठाया है। एक स्लीपर में अगर पांच आदमी भी जोड़े तो 190 लोग होते हैं। उसके अलावा बीच में निकलने वाले रास्ते पर भी लोगों को बैठाया गया था। मनमाफिक किराया देने के बाद जानवरों की तरह भरकर बस लाया है। औरंगाबाद निवासी दीपक ने बताया कि दो लोगों को 58 सौ रुपये रुपये किराया लिया है। अब आगे जाने से इन्कार कर रहा है। देर रात करीब दो बजे रामादेवी फ्लाईओवर पर बस को चारो तरफ से भीड़ घेरे खड़ी थी। तभी हाईवे मोबाइल गाड़ी पहुंची। हादसे की आशंका के चलते पुलिस की गाड़ी रुकी तो चालक सबको बैठाने लगा। माजरा जानने के बाद पुलिस ने बस चालक को फटकारा जिसके बाद उसने किसी से फोन पर बात की और बस को प्रयागराज तक ले जाने की बात कहते हुए सवारियों को बैठाया और चल दिया। पटना बस स्टैंड के पास रहने वाले जगदीप ने बताया कि प्रयागराज से उन लोगों को दूसरी बस में बैठाकर आगे भेजा गया है।