Coronavirus Lockdown: मुंबई से आटो चलाकर निकल पड़े घर के लिए, प्रवासियों ने बयां की सफर का दर्द
मुंबई से चलकर वाराणसी जा रहे ऑटो चालक ने बताया काम-धंधा बचा नहीं कोरोना की वजह से आगे भी आस नहीं तो क्या करते वहां रहकर। कहा सफर के दौरान कसारा घाट टोल पर रुपये छीनकर पुलिस ने निकलने दिया।
कानपुर, जेएनएन। भाई मुंबई में हाल बहुत खराब है। कोरोना ने तो दाना पानी छीन लिया। काम-धंधा चल नहीं रहा और संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है तो वहां रहकर क्या करते। वहां कुछ हो गया तो घरवाले आ भी नहीं पाएंगे। गांव में कम से कम परिवार के लोग साथ तो होंगे। किसी तरह पेट काटकर सात हजार रुपये बचाए थे कि किसी तरह घर पहुंच जाएं, लेकिन महाराष्ट्र के कसारा घाट टोल पर पुलिसकर्मी यूपी वाला जानकर रुपये छीनने लगते हैैं। दो सौ रुपये प्रतिव्यक्ति के हिसाब से वसूली के बाद टोल के आगे वाला बार्डर पार करने दिया। यह दर्द शनिवार को भौंती-रूमा फ्लाईओवर पर रामादेवी चौराहे के रैंप के पास मुंबई से आटो रिक्शा चलाकर आए जौनपुर मछली शहर निवासी दिलीप पटेल ने सुनाया।
आटो रिक्शाचालक दिलीप ने बताया कि छह महीने में पेट काटकर जो-कुछ जोड़ा था, उसी से गुजारा कर रहे थे। रकम घटती जा रही थी और काम-धंधा शुरू होने की उम्मीद नहीं थी तो उन्नाव के बदरका करौंदी निवासी साथी आटोचालक बृजकिशोर गुप्ता, वाराणसी के बाबरपुर निवासी रामआसरे गिरी और जौनपुर मछली शहर के रघुनाथ पटेल के साथ अपने-अपने गांव जाने के लिए 14 अप्रैल की रात नौ बजे अपना आटो लेकर निकल पड़ा। तीन दिन का सफर तय कर कानपुर आए हैैं। उसने बताया कि सात हजार रुपये लेकर चला था। बाकी साथी भी कुछ-कुछ रुपये लेकर निकले थे। रास्ते भर में पांच हजार रुपये का पेट्रोल और सीएनजी गैस भराई है।
रुपये न देने पर पीटकर लौटा रहे
दिलीप ने बताया कि टोल के बाद बॉर्डर पार करने में पुलिस जबरन वसूली कर रही है। रुपये न देने पर लोहे की रॉड से पैर पर वार कर लौटा दे रहे थे। सभी साथियों ने दो-दो सौ रुपये दिए तब घर वापसी का रास्ता मिला।
पिछले लॉकडाउन में ही छोड़ आए थे परिवार
सभी आटो चालक बोले-पहले परिवार मुंबई में साथ ही रहता था। पिछले लॉकडाउन में परिवार को गांव छोड़ आए थे। परिवार को लाना उचित नहीं समझा, लेकिन अब लग रहा है कि फैसला बिल्कुल सही था। दिलीप और उसके साथी बोले-परिवार होता तो मुश्किल और बढ़ती।
रामादेवी से नौबस्ता तक पैदल चलकर पहुंचा परिवार
मडिय़ांव लखनऊ में रहकर खेल-तमाशा दिखाने वाले मदारी कोटा राजस्थान निवासी हिमामुद्दीन भरी दोपहर चिलचिलाती धूप में नंगे पांव सवारी की तलाश में सिर और कंधे पर सामान की गठरी लादे चले आ रहे थे। उनके साथ पत्नी नगमा, दो दिव्यांग बेटे, बेटी, दामाद थे। पूछने पर दर्द फट पड़ा।
बोले-कोरोना सब लील गया। अब पुलिस भीड़ इकट्ठा होने नहीं देती तो भला कौन खेल देखेगा और कौन रुपये देगा। हम तो भूखे रह लें लेकिन मासूम बच्चों को कैसे भूखा रखें। लखनऊ में हालात ठीक नहीं हैं, इसलिए घर लौटना ही एक रास्ता था। लखनऊ से एक ट्रक से यहां आए थे। उसने रामादेवी चौराहे के पास उतार दिया तो अब पैदल नौबस्ता की ओर बढ़ रहे हैैं कि शायद कोई सवारी मिल जाए।
ट्रकों के आते ही टूट पड़ी भीड़
रामादेवी फ्लाईओवर पर प्रयागराज रूट पर प्रवासियों की भीड़ इकट्ठा थी। भीड़ में एक परिवार दिल्ली तो दो मुंबई से आए थे। सभी को प्रयागराज की ओर जाना था। तभी कुछ ट्रक आते देख जगह पाने की होड़ मच गई।