इसे महज संयोग कहें या फिर सियासी विश्वास : बुध से शुद्ध करने का महज संयोग या महायोग

इस बार प्रदेश में भाजपा की सरकार है। पार्टी सूत्रों की माने तो पिछली बार क्रांति रथ लेकर अखिलेश अपने तीन दिवसीय कार्यक्रम में आये थे। जिसमें दो दिन जिले में ही प्रवास किया था और एक दिन कानपुर में ठहरे थे।

By Akash DwivediEdited By: Publish:Thu, 22 Jul 2021 06:25 AM (IST) Updated:Thu, 22 Jul 2021 06:25 AM (IST)
इसे महज संयोग कहें या फिर सियासी विश्वास : बुध से शुद्ध करने का महज संयोग या महायोग
इसी कारण से समाजवादी पार्टी का रथ 2022 के चुनावी मैदान में उतर गया।

उन्नाव (अमित मिश्र)। इसे महज संयोग कहें या फिर सियासी विश्वास। एक बार फिर अखिलेश यादव का जिले की सीमा में प्रवेश हुआ। लेकिन अंदाज, माहौल, दिन, रास्ता सब कुछ वहीं करीब 10 साल पुराना था। बस तारीख और मौका बदला हुआ था। कुछ भी हो लेकिन लोगों के बीच चर्चाएं शुरू हो गई हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव को करीब से देख रहे लोग भी चुनावी शंखनाद मान रहे हैं।

जी हम बात कर रहे है वर्ष 14 सितंबर 2011 की। जब सांसद अखिलेश यादव ने क्रांति रथ लखनऊ से उन्नाव की सीमा पर बढ़ाते हुए 2012 के चुनाव प्रचार की शुरुआत की थी। उस दिन भी बुधवार था। आज एक बार फिर प्रशासन की अड़चनों के बाद ही सही पर अखिलेश का जनपद आगमन हुआ वो भी समाजवादी रथ पर सवार होकर। रथ भी लखनऊ से ही आया था और उसके साथ समाजवादियों का लंबा-चौड़ा काफिला। उस वक्त भी अखिलेश विपक्ष में थे और प्रदेश में मायावती की सरकार थी। इस बार प्रदेश में भाजपा की सरकार है।

पार्टी सूत्रों की माने तो पिछली बार क्रांति रथ लेकर अखिलेश अपने तीन दिवसीय कार्यक्रम में आये थे। जिसमें दो दिन जिले में ही प्रवास किया था और एक दिन कानपुर में ठहरे थे। उसी दौरान चुनावी बिगुल भी फूंका गया था। जब चुनावी नतीजे आये और प्रदेश में सपा की सरकार भी बनी। अखिलेश के कुछ करीबियों की माने तो इस बार भी बुधवार का दिन है और उन्नाव का कार्यक्रम। इसी कारण से समाजवादी पार्टी का रथ 2022 के चुनावी मैदान में उतर गया।

पिछली बार भी गये थे पार्टी कार्यकर्ताओं के घर : पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं की माने तो इस बार अखिलेश ने वह सब कुछ किया जो 2011 में 15 और 16 सितंबर को जिले में अपने कार्यक्रम के दौरान किया था। उस बार भी अखिलेश पार्टी के स्थानीय नेताओं में शामिल राजेश यादव और सीके त्रिपाठी के आवास पर गये थे और पारिवारिक सदस्यों से मुलाकात की थी। इस बार भी उनका दोनों नेताओं के आवास पर पहुंचना हुआ। बस फर्क इतना था कि इस बार सीके त्रिपाठी के आवास पर उनके पुत्र के निधन पर श्रद्धांजलि व्यक्त करने के लिए पहुंचना हुआ।

जातिगत गणित से भी देखा जा रहा भ्रमण : 2022 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री का यह दौरान और शहर में कार्यकर्ताओं के घर भ्रमण कार्यक्रम जातिगत गणित से भी देखा जा रहा है। उनका पार्टी के सजातीय नेताओं के घरों पर जाने का तय कार्यक्रम होने के बाद बीच में ब्राम्हण समाज के लोगों के घर प्रतिष्ठान में जाना एक अलग चर्चा शुरू हो गई।

भाजपा की सरकार में बढ़ी बेरोजगारी और महंगाई : अखिलेश बोले बीजेपी की सरकार का पूरी तरीके से सफाया होगा। जनता को सपने दिखाए, जो पूरे नहीं किए। बेरोजगारी बढ़ी है, महंगाई बढ़ी है, बीजेपी से जनता नाराज है। 350 पार के सवाल पर बोले समाजवादी पार्टी सबको साथ लेकर चलेगी। बीजेपी जनता को गुमराह कर 324 जीत सकती है तो हम विकास के मुद्दे पर 351 क्यों नहीं जीत सकते। हर वर्ग को जोड़कर, जनता की खुशहाली के लिए आगे बढ़ेंगे।  

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