मंडी के बाहर से कारोबार करके कमा रहे मुनाफा, राजस्व संग्रह को लगा रहे भारी चूना

देश में कृषि कानून लागू होने के एक वर्ष बाद के हालात देखे जाएं तो कारोबारियों को तो बहुत फायदा पहुंचा और मंडियों को नुकसान हाे रहा है। ज्यादातर कारोबारी बाहर से कारोबार करके मंडी शुल्क नहीं दे रहे हैं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sat, 05 Jun 2021 10:50 AM (IST) Updated:Sat, 05 Jun 2021 10:50 AM (IST)
मंडी के बाहर से कारोबार करके कमा रहे मुनाफा, राजस्व संग्रह को लगा रहे भारी चूना
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कानपुर, जेएनएन। पांच जून को देश में कृषि कानून लागू हुए एक वर्ष पूरे हो जाएंगे। इस दौरान जहां मंडी के बाहर निकल कर कारोबार करने वालों को काफी लाभ हुआ है वहीं मंडी समिति को राजस्व संग्रह में भारी चूना लगा है। जब कृषि कानून लागू हुए थे, उस समय मंंडी शुल्क ढाई फीसद था। इसमें दो फीसद मंडी शुल्क व आधा फीसद विकास शुल्क था। नए कानून में कहा गया था कि जो लोग मंडी के बाहर कारोबार करेंगे उन्हें मंडी शुल्क नहीं देना होगा। इसके चलते नौबस्ता गल्ला मंडी से अधिकांश कारोबारी मंडी के बाहर कारोबार करने लगे। हालांकि बाद में मंडी शुल्क एक फीसद और विकास शुल्क आधा फीसद कर दिया गया लेकिन मंडी के बाहर कारोबार करने वालों की संख्या कम नहीं हुई।

पिछले एक वर्ष में एक ओर कारोबारी मंडी के अंदर लग रहे शुल्क को भी पूरी तरह खत्म करने की मांग करते रहे। मंडी के बाहर कारोबार कर रहे व्यापारियों को अब पहले के मुकाबले काफी ज्यादा लाभ हो रहा है। इसके अलावा सचल दल का संकट भी खत्म हो गया है क्योंकि अब मंडी के बाहर कोई चेङ्क्षकग नहीं हो सकती। पहले सचल दल की चेकिंग की बहुत शिकायतें आती रहती थीं।

इस दौरान सबसे ज्यादा क्षति हुई मंडी समिति के राजस्व की। पांच जून 2020 को आदेश जारी हुआ। उससे पहले मई 2020 में मंडी का राजस्व संग्रह 4.58 करोड़ रुपये था। इस वर्ष मई 2021 में मंडी को 5.68 करोड़ रुपये का लक्ष्य दिया गया था लेकिन राजस्व एक करोड़ भी नहीं जुटा। मंडी समिति की इज्जत सब्जी मंडी बचाए हुए है वरना गल्ला मंडी में तो पांच लाख रुपये का राजस्व भी नहीं जुट रहा। गल्ला मंडी में जहां पांच-छह सौ लोग कारोबार करते थे, वहां अब बामुश्किल 15-20 लोग ही आ रहे हैं।

इन्हें मिली राहत

नयागंज किराना बाजार में सुपाड़ी, धनिया, मिर्च, हल्दी, जीरा, खटाई, सौंफ, मखाना, लकड़ी, रुई, गुड़, गल्ला, दालों के व्यापारियों को राहत मिली है। ये व्यापारी कलक्टरगंज, कोपरगंज आदि क्षेत्र में फैले हैं।

पड़ोसी राज्यों में मंडी शुल्क

कृषि कानून लागू होने के बाद राजस्थान में 1.6 फीसद मंडी शुल्क एक फीसद कर दिया गया है। बिहार व दिल्ली में कोई मंडी शुल्क नहीं है। मध्य प्रदेश में इसे दो फीसद से घटाकर आधा फीसद कर दिया गया है।

ये कहना है इनका

मंडी लाइसेंस सहित गेट पास व अन्य प्रक्रिया समाप्त हुई है। इससे व्यापारियों को लाभ हुआ लेकिन मंडी के बाहर मंडी शुल्क शून्य होने और मंडी के अंदर 1.5 फीसद होने से मंडी के अंदर व्यापार प्रभावित है। -ज्ञानेश मिश्र, प्रधान सचिव, कानपुर गल्ला आढ़तिया संघ।

मंडी के अंदर भी 0.25 प्रतिशत मंडी शुल्क करके व्यापारियों को राहत देनी चाहिए। हालांकि कृषि कानूनों के लागू होने से मंडी के बाहर व्यापार करने वाले व्यापारियों को लाभ मिलना अच्छा कदम रहा। -अजय बाजपेई, उपाध्यक्ष, कानपुर गल्ला अढ़तिया संघ।

पिछले एक वर्ष में राजस्व में काफी गिरावट आई है। बहुत अधिक कारोबारी मंडी के बाहर कारोबार करने लगे, इसकी वजह से यह असर हुआ है। -सुभाष सिंह, सचिव, मंडी समिति, कानपुर नगर

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