विदेश से MBBS कर रहे स्टूडेंट्स के लिए कठिन हुई राह, NMC ने जारी किए नए नियम, यहां जानें

भारत से हर साल बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए चीन रूस समेत अन्य देश में जाते हैं। खासकर चीन रूस समेत कई अन्य देशों में एमबीबीएस की पढ़ाई उस देश की मातृभाषा में कराई जाती है।

By Shaswat GuptaEdited By: Publish:Sat, 04 Dec 2021 07:04 PM (IST) Updated:Sat, 04 Dec 2021 10:44 PM (IST)
विदेश से MBBS कर रहे स्टूडेंट्स के लिए कठिन हुई राह, NMC ने जारी किए नए नियम, यहां जानें
राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान चिकित्सा आयोग की खबर से संबंधित सांकेतिक फोटो।

कानपुर, जागरण संवाददाता। विदेश से एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले डाक्टरों के लिए अब देश में पंजीकरण कराना और मान्यता पाना आसान नहीं है। नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) यानी राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान चिकित्सा आयोग ने ऐसे डाक्टरों के लिए तमाम बंदिशें लगा दी हैं। अभी तक विदेश से एमबीबीएस करने के बाद एक परीक्षा पास कर वे आसानी से पंजीकरण कराकर प्रैक्टिस शुरू कर देते थे। अब उन्हें इसके लिए मशक्कत करनी पड़ेगी। एनएमसी ने विदेश से डाक्टरी की पढ़ाई करने वालों के पंजीकरण के लिए नए नियम बना दिए हैं। 18 नवंबर को इस संबंध में नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है।

भारत से हर साल बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए चीन, रूस समेत अन्य देश में जाते हैं। खासकर चीन, रूस समेत कई अन्य देशों में एमबीबीएस की पढ़ाई उस देश की मातृभाषा में कराई जाती है। ऐसे में वहां से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करके लौटने वाले डाक्टरों को यहां के अनुरूप कार्य करने में कठिनाई होती थी। इसे ध्यान में रखते हुए एनएमसी ने विदेशी आयुर्विज्ञान स्नातक लाइसेंसिएट विनियमावली 2021 जारी की है।

एनएमसी की शर्तों में स्पष्ट है कि विदेश में चिकित्सा स्नातक यानी एमबीबीएस की पढ़ाई मान्यता प्राप्त संस्थान से की गई हो। अंग्रेजी में एमबीबीएस की पूरी पढ़ाई कराई गई हो। जहां एमबीबीएस की पढ़ाई की है, वहां की डिग्री मान्य हो और उसी संस्थान में 12 माह की इंटर्नशिप भी पूरी की हो। उसके बाद डिग्री के आधार पर उसी देश में प्रैक्टिस के लिए पंजीकरण कराया हो, जिस प्रकार वहां के नागरिकों को मेडिकल प्रैक्टिस से पहले लाइसेंस लेना होता है।

शर्तें पूरी करने पर ही इंटर्नशिप की अनुमति: विदेश से पढ़ाई करके आने वाले डाक्टर एनएमसी की शर्तों को पूरा करेंगे। उसके बाद उन्हें भारत में एक साल की इंटर्नशिप करने होगी। उसके बाद ही एनएमसी की ओर से आयोजित होने वाला नेशनल एग्जिट टेस्ट देना होगा। उसमें उत्तीर्ण होने पर ही एनएमसी से स्थायी पंजीकरण यानी प्रैक्टिस का लाइसेंस मिल सकेगा।

इनका ये है कहना: 

विदेश से एमबीबीएस की पढ़ाई करके आने वालों के पंजीकरण के नियम एनएमसी ने सख्त करते हुए कुछ शर्तें लगा दी हैं। उन्हें पूरा करने के बाद ही उन्हें देश में 12 माह की इंटर्नशिप करने की अनुमति प्रदान की जाएगी। इंटर्नशिप पूरी करने के बाद एनएमसी का नेशनल एग्जिट टेस्ट पास करना होगा। उसके बाद उनकी डिग्री को मान्यता मिलेगी और उन्हें पंजीकरण मिल सकेगा।  - डा. मनीष सिंह, न्यूरो सर्जरी विभागाध्यक्ष,जीएसवीएम मेडिकल कालेज एवं एनएमसी के जानकार।

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