AICTE के सामने आया यूपी में पालीटेक्निक कॉलेजों का सच, मिले सिर्फ 35 फीसद शिक्षक

अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के मूल्यांकन में कई जगह खामियां मिलने और कई संस्थानों में प्रिंसिपल की योग्यता पर सवाल उठाए गए हैं। प्राविधिक शिक्षा निदेशालय को नोटिस भेजा है ऐसे में सीटें भी कम की जा सकती हैं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Wed, 23 Jun 2021 10:51 AM (IST) Updated:Wed, 23 Jun 2021 10:51 AM (IST)
AICTE के सामने आया यूपी में पालीटेक्निक कॉलेजों का सच, मिले सिर्फ 35 फीसद शिक्षक
यूपी के पालीटेक्निक कालेजों में शिक्षकों की कमी।

कानपुर, जेएनएन। प्रदेश भर की पालीटेक्निक में सिर्फ 35 फीसद शिक्षकों से काम चलाया जा रहा है। कई संस्थानों में लैब, वर्कशाप, कंप्यूटर, कैंटीन, छात्रावास, लाइब्रेरी समेत अन्य संसाधनों की कमी है। पढ़ाई के साथ ही अन्य सुविधाएं नाकाफी हैं। यह मूल्यांकन अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) ने नए शैक्षणिक सत्र से पूर्व कराया है, जिसके जवाब के लिए प्राविधिक शिक्षा निदेशालय को नोटिस भेजा है। शिक्षकों और छात्रों की संख्या का अनुपात कम होने से डिप्लोमा की सीटें कम की जा सकती हैं।

मूल्यांकन में प्रिंसिपल की संख्या पर्याप्त मिली है, जबकि शिक्षकों की संख्या बेहद कम है। सिर्फ 35 फीसद स्थायी शिक्षकपढ़ाई करा रहे हैं। बाकी के लिए गेस्ट फैकल्टी से काम चलाया जा रहा है। एचओडी की संख्या भी कम है।

मूलभूत सुविधाओं की कमी

एआइसीटीई के मूल्यांकन में छात्रों के लिए मूलभूत सुविधाओं की कमी है। कहीं लाइब्रेरी है तो किताबें नहीं हैं। छात्रों की संख्या के मुताबिक, कंप्यूटर नहीं हैं। छात्रावास में कमरों का संकट है। वर्कशाप में अत्याधुनिक उपकरण नहीं हैं। पुराने और खस्ताहाल खराब हैं।

कई पालीटेक्निक में प्रिंसिपल अयोग्य

रिपोर्ट में कई संस्थानों के प्रिंसिपल को अयोग्य बताया गया है। एआइसीटीई के मानक के मुताबिक प्रिंसिपल को पीएचडी होना चाहिए, जबकि संस्थानों में बिना पीएचडी के भी प्रिंसिपल काबिज हैं। उनको प्रोन्नत किया गया था। एआइसीटीई के मूल्यांकन में मिली खामियों को जल्द दूर किया जाएगा। प्रिंसिपल और अन्य अधिकारियों को निर्देशित कर दिया गया है। छात्रों की पढ़ाई और व्यक्तित्व विकास के लिए सभी सुविधाएं रहेंगी। -मनोज कुमार, निदेशक प्राविधिक शिक्षा निदेशालय

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