माता-पिता को खो चुके बच्चों को मिला सहारा, मदद को आगे आए अधिवक्ता, व्यापारी और कंपनी
कोरोना संक्रमण काल में माता-पिता को खोने के बाद बेसहारा हुए बच्चों की मदद के लिए अधिवक्ता व्यापारी और एक कंपनी आगे आई है। उनकी वेदना काे महसूस करके सहारा बन गए हैं। पढाई का खर्च उठाने के साथ आर्थिक मदद भी कर रहे हैं।
कानपुर, जेएनएन। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में कई बच्चों ने अपने माता पिता दोनों को खो दिया तो कई बच्चे ऐसे हैं, जिनके पिता कोविड का शिकार हो गए। छोटी सी उम्र में अपने संरक्षक को खो देने की वेदना में से यह बच्चे आज भी उबर नहीं पाए हैं। शहर के कई लोगों ने इनकी वेदना की विरह को महसूस किया और मदद को हाथ बढ़ाए हैं। व्यापारी, अधिवक्ता, कंपनी और निजी तौर पर लोगों ने मदद की पहल की है।
कोविड संक्रमण के दौरान बेसहारा हुए बच्चों को लेकर दैनिक जागरण अभियान चला रहा है। अब इसका असर भी दिखने लगा है। ग्रेटर नोएडा स्थित इंस्टीट्यूट आफ टेक्नालाजी से कंप्यूटर सांइस में बीटेक कर रहे आर्यन चतुर्वेदी पिता को खोने के बाद सदमे में थे। बीटेक द्वितीय वर्ष में पढ़ रहे आर्यन फीस की समस्या से भी जूझ रहे थे। अधिवक्ता कमलेश पाठक ने उनकी पढ़ाई पूरी कराने की जिम्मेदारी ली है।
15 बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाएंगे
बेसहारा बच्चों की सबसे बड़ी समस्या पढ़ाई थी। दैनिक जागरण की मदद से गनेशा ईकोस्फीयर लिमिटेड ने 15 बच्चों की सूची तैयार की। स्वजन से दस्तावेज एकत्रित करने के बाद कंपनी ने उनकी पढ़ाई की जिम्मेदारी उठाने का निर्णय लिया है। गनेशा ईकोस्फीयर कंपनी के निदेशक प्रदीप कुमार गोयनका और सीए राघव ने बताया कि इन बच्चों की फीस के लिए तीन लाख रुपये का खर्च आ रहा है। कंपनी शिक्षा क्षेत्र में सेवा कार्य करती है यही कारण है कि बच्चों की फीस की जिम्मेदारी उठाई गई है।
नौ बच्चों को दी आर्थिक मदद और राशन
बच्चों की मदद के लिए व्यापारी भी पीछे नहीं रहे। दैनिक जागरण में प्रकाशित खबरों में नौ बच्चों और उनकी मां को अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल ने तीन तीन माह का राशन व 11-11 हजार रुपये की राशि प्रदान की। महामंत्री ज्ञानेश मिश्रा ने मदद जारी रखने का आश्वासन दिया है।