निरीक्षण के दौरान मिली कई गड़बड़ियां

कलम के खिलाड़ी अफसर कैसे कागजी सुशासन चला रहे हैं यह शुक्रवार को सामने आ गया।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 23 Feb 2019 10:51 AM (IST) Updated:Sat, 23 Feb 2019 10:51 AM (IST)
निरीक्षण के दौरान मिली कई गड़बड़ियां
निरीक्षण के दौरान मिली कई गड़बड़ियां

जागरण संवाददाता, कानपुर : कलम के खिलाड़ी अफसर कैसे कागजी सुशासन चला रहे हैं, यह शुक्रवार को सामने आ गया। वाजिदपुर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की नहर से सटे गांव आते तो नगर निगम क्षेत्र में हैं, लेकिन हाल देखकर लगता है कि यह लावारिस हैं। हालात इशारा करते हैं कि महीनों-वर्षो से जिम्मेदार अफसर और जनप्रतिनिधि यहां गए नहीं हैं या फिर आंखें मूंदकर पहुंचे हैं। चकेरी वार्ड के 18 गांवों की बदहाली का मुद्दा 'दैनिक जागरण' द्वारा उठाए जाने पर शुक्रवार को महापौर प्रमिला पांडेय नगर आयुक्त संतोष कुमार शर्मा और अन्य अधिकारियों के साथ मौके पर पहुंचीं तो लापरवाह अधिकारियों की पोल खुल गई। पानी के इंतजाम से लेकर शौचालय निर्माण तक में झोल ही झोल नजर आया। यह देख महापौर का पारा चढ़ गया। सवाल-जवाब किए तो अफसरों के पसीने छूट गए। दोषियों पर कार्रवाई के साथ ही तुरंत समस्याओं के निस्तारण के निर्देश महापौर ने संबंधित अधिकारियों को दिए।'

जवाब दें, क्यों बंद हैं पानी की टंकियां

वाजिदपुर एसटीपी का निरीक्षण करने के बाद महापौर सबसे पहले प्योंदी गांव पहुंचीं। यहां ग्रामीणों ने बताया कि मोटर खराब है, इसलिए महीनों से पानी की टंकी से जलापूर्ति बंद है। अन्य गांवों में भी यही स्थिति है। इस पर महापौर ने जल निगम के अधिकारियों से जवाब तलब किया। साथ ही निर्देश दिए कि जो टंकी चालू हो सकती है, उससे तुरंत जलापूर्ति शुरू कराएं।

बोलीं महिलाएं, हम तो खुले में जाते हैं शौच

महापौर जाना गांव पहुंचीं तो ग्रामीण कमलेश कुमार निषाद ने बताया कि शौचालय बनाने के नाम पर सिर्फ गड्ढे ही खोद दिए गए हैं। किसी गांव में शौचालय चालू हालत में नहीं है। इस पर मेयर ने गांव का दौरा किया तो शिकायत सही मिली। उन्होंने नगर आयुक्त से पूछा तो वह बोले कि पहले का लक्ष्य पूरा होने के बाद यह अतिरिक्त गड्ढे अभी खोदे गए हैं। इस पर मेयर दो टूक बोलीं कि आप आंकड़ों में लक्ष्य पूरा करने के लिए यह काम कर रहे हैं। तभी गांव की महिलाएं वहां पहुंच गई। उनसे पूछा कि शौचालय है क्या घर में? लगभग सभी ने जवाब दिया कि सिर्फ गड्ढे खोदे गए हैं। हम तो खेतों में शौच को जाते हैं। नगर आयुक्त ने आश्वस्त किया कि एक-दो दिन में ही निर्माण शुरू करा दिया जाएगा। यहीं पर एक बो¨रग बदहाल मिली। उसका पाइप निकलवाकर देखा तो उसमें पानी था, लेकिन आपूर्ति नहीं हो रही थी। इस पर जूनियर इंजीनियर आरके सिंह को जमकर लताड़ लगाई। नगर आयुक्त को निर्देश दिए कि जो भी जिम्मेदार हो, उस पर कार्रवाई करें। पार्षद अजीत दिवाकर से पूछा कि आप क्या क्षेत्र में नहीं आते। उन्होंने बताया कि कई बार अधिकारियों को स्थिति बता चुके, लेकिन वह सुनते नहीं हैं।

बरातघर में बांधे जा रहे थे पशु

ग्रामीण डॉ. सोनेलाल यादव ने बताया कि बरातघर बसपा सरकार में बनना शुरू हुए थे। फिर अधूरे छोड़ दिए गए। महापौर ने जाना गांव का बरातघर देखा तो किसी भी कमरे में दरवाजा नहीं था। गांव के दो बुजुर्ग उसमें रह रहे थे। इसके अलावा अंदर गोबर पसरा था। पूछने पर पता चला कि ग्रामीण वहां पशु बांधते हैं। महापौर ने बरातघर को कब्जामुक्त कराने और कब्जा करने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के निर्देश दिए। नगर आयुक्त से कहा कि देखें कि किस योजना में अधूरे बरातघर पूरे हो सकते हैं। इनका सुधार कराना है।

सिंचाई को मिलने वाले पानी की होगी जांच

महापौर प्रमिला पांडेय ने खेत में काम कर रहे किशनपुर के ग्रामीण राजेंद्र कुमार की हालत देखी। उसके हाथों की उंगलियां गली हुई थीं। नगर आयुक्त ने ऐसे ग्रामीणों का स्वास्थ्य परीक्षण कराने की बात कही, ताकि कारण पता लगाया जा सके। वहीं, महापौर ने बताया कि उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम भेजकर गांव में सिंचाई को दिए जाने वाले पानी की जांच कराई जाएगी।

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