60 फीसद निजी स्कूलों के प्रबंधक बोले, स्कूल बंद होने से हुए कंगाल, डीएम को भेजा छह बिंदुओं का पत्र
प्रबंधकों ने कहा कि पिछले साल कोरोना महामारी के चलते कई माह तक स्कूल बंद रहे थे जिस वजह से सभी बच्चों की फीस जमा नहीं हो पाई थी। कोरोना के बढ़ते संक्रमण के चलते कमोबेश वैसी स्थिति इस साल भी बन रही है
कानपुर, जेएनएन। निजी स्कूल बंद होने के चलते जिले के करीब 60 फीसद प्रबंधक कंगाली के कगार पर आ गए हैं। उन्होंने कानपुर प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों को जब अपनी स्थिति बताई, तो पदाधिकारियों ने डीएम को पत्र भेजकर स्कूलों के संचालन की मांग की है। पदाधिकारियों का कहना है, जब सारे प्रतिष्ठान खुले हैं, तो एक निश्चित समय सीमा के लिए स्कूल भी खोले जा सकते हैं। प्रबंधकों ने कहा कि पिछले साल कोरोना महामारी के चलते कई माह तक स्कूल बंद रहे थे, जिस वजह से सभी बच्चों की फीस जमा नहीं हो पाई थी। कोरोना के बढ़ते संक्रमण के चलते कमोबेश वैसी स्थिति इस साल भी बन रही है। अगर इस साल फीस न मिली तो स्कूलों को बंद ही करना पड़ेगा।
बेचना चाहते हैं स्कूल, पर नहीं बेच सकते : कई प्रबंधकों ने तो यहां तक कह दिया है, कि वह अपना स्कूल बेचना चाहते हैं पर नहीं बेच सकते। इसका कारण यह है, कि उन्होंने जितना पैसा स्कूल में लगा दिया उतना पैसा नहीं मिल पाएगा। इसके अलावा स्कूली वाहन भी खड़े हैं। न तो चालक को पैसा दिया जा सकता है, न क्लीनर को।
इनका ये है कहना
स्कूलों को खोलने के लिए जिलाधिकारी को पत्र भेजा है। अपनी सारी बातें और स्थितियों से उन्हेंं अवगत करा दिया है। जो फैसला जिला प्रशासन व सरकार को होगा, उसे मानेंगे।बलविंदर सिंह, जनरल सेक्रेटरी, कानपुर प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन