Mahoba Case : हाईकोर्ट ने भले ही राहत दे दी पर मामले में IG बोले... विभागीय जांच में दोषी मिलने पर निलंबित किए गए थे दोनों पुलिस निरीक्षक

आइजी ने बताया कि इन दोनों के ही खिलाफ विभागीय जांच बैठी थी। जांच पूरी होने के बाद आरोप सही पाए गए थे। कॉल डिटेल और दोनों पुलिसकर्मियों के बयान लेने के बाद रिपोर्ट शासन को भेजी गई थी। जांच के आधार पर ही निलंबन की कार्रवाई की गई थी।

By Akash DwivediEdited By: Publish:Fri, 09 Apr 2021 08:28 AM (IST) Updated:Fri, 09 Apr 2021 08:28 AM (IST)
Mahoba Case : हाईकोर्ट ने भले ही राहत दे दी पर मामले में IG बोले... विभागीय जांच में दोषी मिलने पर निलंबित किए गए थे दोनों पुलिस निरीक्षक
जांच रिपोर्ट शासन को भी भेजी गई थी

कानपुर, जेएनएन। विभागीय जांच बैठाए बिना निलंबित किए जाने को आधार बनाकर याचिका दाखिल करने वाले जिले के दो पुलिस निरीक्षकों को हाईकोर्ट ने भले इस तरह की कार्रवाई पर हैरानी जताते हुए राहत दे दी, मगर आइजी का मामले में कुछ और ही कहना है। आइजी चित्रकूटधाम मंडल बांदा के. सत्यनारायण का कहना है कि दोनों निरीक्षकों के खिलाफ विभागीय जांच के बाद ही कार्रवाई की गई थी। जांच रिपोर्ट शासन को भी भेजी गई थी।

बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे में काम करा रही पीपी पांडेय इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेट लखनऊ के प्रोजेक्ट मैनेजर को बुलाकर तत्कालीन एसपी मणिलाल पाटीदार को पैसा दिए जाने का दबाव बनाने, एफआइआर करने व ट्रकों का चालान करने के आरोप में तत्कालीन वरिष्ठ उपनिरीक्षक कुलपहाड़ राजू सिंह व तत्कालीन एसएचओ खन्ना राकेश सरोज को एसपी अरुण कुमार श्रीवास्तव ने 10 सितंबर 2020 को निलंबित किया गया था। इन दोनों ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी।

आइजी ने बताया कि इन दोनों के ही खिलाफ विभागीय जांच बैठी थी। जांच पूरी होने के बाद आरोप सही पाए गए थे। कॉल डिटेल और दोनों पुलिसकर्मियों के बयान लेने के बाद रिपोर्ट शासन को भेजी गई थी। जांच के आधार पर ही निलंबन की कार्रवाई की गई थी। हाईकोर्ट के आदेश को लेकर उन्होंने कहा कि हो सकता है कि कोर्ट के संज्ञान में जांच रिपोर्ट की बात सामने नहीं लाई गई हो। यह भी हो सकता है कि कोर्ट को गुमराह किया गया हो।

chat bot
आपका साथी