सिंदूर खेला और दर्पण विसर्जन परंपरा संग विदा हुई महिषासुर मर्दिनी

कृत्रिम तालाबों में इन तालाबों में किया गया मां का विसर्जन सिंदूर खेला दर्पण विसर्जन अपराजिता पूजन और शक्ति वंदन संग विदा हुई मां मां के जयकारों से वातावरण भक्ति में हुआ नियमों का पालन करते हुए सीमित संख्या के लोगों ने विसर्जन कृतिम तालाबों में किया

By Akash DwivediEdited By: Publish:Mon, 26 Oct 2020 02:57 PM (IST) Updated:Mon, 26 Oct 2020 05:37 PM (IST)
सिंदूर खेला और दर्पण विसर्जन परंपरा संग विदा हुई महिषासुर मर्दिनी
लोगों ने विसर्जन कृतिम तालाबों में किया

कानपुर, जेएनएन। आस्था के महापर्व नवरात्र में पंडालों में विराजी मां जगदंबा को सोमवार को विधि विधान से पूजन अर्चन कर भक्तों ने विदाई दी। मां के जयकारों से वातावरण भक्ति में हुआ नियमों का पालन करते हुए सीमित संख्या के लोगों ने विसर्जन कृतिम तालाबों में किया।

सोमवार को चकेरी स्थित कालीबाड़ी मंदिर, अशोक नगर, शास्त्री नगर, नौबस्ता, अरमापुर, माल रोड, डीएवी कॉलेज और शहर में स्थापित दुर्गापूजा पंडालों में विधि विधान से पूजन अर्चन के बाद मां का विसर्जन किया गया। संक्रमण के चलते इस बार पिछले वर्षों की तुलना में दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं में कमी जरूर दिखी परंतु भक्तों का उत्साह देखने लायक था। पंडालों में सुबह की आरती के बाद कमेटी के पदाधिकारियों और महिलाओं में मां का श्रृंगार पूजन किया। मां को सिंदूर लगाने की परंपरा के साथ दर्पण विसर्जन सिंदूर खेला और दसवीं पूजा की रस्में निभाई गई।

सिंदूर खेला में देखने को मिला गजब का उत्साह

शास्त्री नगर और अशोक नगर स्थित दुर्गा पूजा पंडालों में आरती के बाद महिलाओं ने मां के समक्ष सिंदूर खेलकर मां का वंदन किया। बंगाली तर्ज पर अशोक नगर दुर्गा पंडाल में मां महिषासुर मर्दिनी का दसवीं पूजन दर्पण विसर्जन तथा प्राण प्रतिष्ठा भक्तों द्वारा किया गया।

 

चकेरी कालीबाड़ी मंदिर में हुई अपराजिता पूजा और शक्ति बंधन

चकेरी स्थित कालीबाड़ी मंदिर में विराजमान मां महिषासुर मॢदनी के समक्ष दोपहर में अपराजिता पूजन और शक्ति वंदन किया। परिसर में सीमित भक्तों की मौजूदगी में बंगाली रीति रिवाज का पालन करते हुए कमेटी के पदाधिकारियों ने दर्पण विसर्जन के साथ मां को मिष्ठान में पान का भोग लगाया। इसके बाद परंपरा को निभाते हुए बंगाली परिधान में सिंदूर खेला की परंपरा की गई। मंदिर की दीपांकर भट्टाचार्य ने बताया कि दर्पण विसर्जन में भक्तों मां का चेहरा और चरण दर्पण में देखकर सुख समृद्धि की कामना करते हैं। प्राचीन परंपरा है जिसका प्रतिवर्ष विधि विधान से पालन किया जाता है। उन्होंने बताया कि शाम को मस्कर घाट स्थित कृत्रिम तालाब में मां का विसर्जन किया जाएगा।

कृत्रिम तालाबों में हुआ विसर्जन

सोमवार को सुबह से ही गोलाघाट मस्कर घाट अरमापुर नहर और पांडू नदी के पास बने कृत्रिम तालाब में भक्तों ने मां का विसर्जन किया। प्रशासन द्वारा कृत्रिम तालाब के पास पुलिस बल की तैनाती की गई थी ताकि अधिक संख्या में लोग ना पहुंचे। के साथ ही विसर्जन के समय शोभा यात्रा आदि पर पूर्ण रूप से रोक रही।

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