केडीए सोता रहा और बिक गयी करोड़ों रुपये की जमीन, जांच में खुल सकता बड़ा राज
कानपुर के किदवई नगर के ओ ब्लाक सब्जी मंडी में केडीए के आधा दर्जन से ज्यादा भूखंड करोड़ों में बिक गए हैं और बाकी पर कब्जा हो गया है। पूर्व उपाध्यक्ष की तरह पीएसी कंपनी से जांच कराई जाए तो बड़ा पर्दाफाश हो सकता है।
कानपुर, जेएनएन। केडीए एक तरफ शहर में आवासीय योजना के लिए जगह ढूंढ रहा है वहीं ओ ब्लाक सब्जी मंडी में प्राधिकरण की करोड़ों रुपये की जमीन पर लोगों ने कब्जा कर रखा है और भूखंडों को कब्जेदार अपना बता कर करोड़ों रुपये में बेच रहे हैं। अब तक आधा दर्जन से ज्यादा भूखंड बिक चुके है। पूर्व उपाध्यक्ष ङ्क्षकजल ङ्क्षसह की तर्ज पर पीएसी कंपनी से योजना के लेआउट और दस्तावेज से जांच कराई जाए तो बड़ा खेल सामने आएगा। खेल में शामिल प्राधिकरण के कर्मचारी भी बेनकाब होंगे।
वर्ष 1978 में केडीए ने 36 एकड़ में ओ ब्लाक सब्जी मंडी किदवईनगर विकसित की थी। वर्ष 2008 में केडीए बोर्ड ने जमीन को आवासीय कर दिया। इस जमीन पर लोग कब्जा रखे रहे। यहां तक की केडीए की पार्किंग भी कब्जा ली। मामले का खुलासा दैनिक जागरण ने किया तो पूर्व उपाध्यक्ष राकेश ङ्क्षसह ने जांच कराई। इसके बाद 41 भूखंड मिले। इनकी नीलामी की तैयारी की जा रही है।
इसके अलावा पांच ऐसे भूखंड मिले जो लेआउट में नहीं थे। पार्किंग और फडिय़ा की भी खाली जगह कागजों में मिली हालांकि मौके पर लोगों के कब्जे हैं जिन्होंने किराये पर जमीन उठा रखी है। उपाध्यक्ष राकेश ङ्क्षसह के सेवानिवृत्त होने के बाद ही फाइल दब गई। हालत यह है कि अरबों रुपये की जमीन पर लोग अभी भी काबिज हैं। केडीए के सक्रिय रैकेट को पता है। कर्मचारियों को जानकारी है, कब्जा करने वाले तमाम तो केडीए के पूर्व कर्मचारी ही हैं।
पूर्व उपाध्यक्ष किंजल सिंह ने अपनी पुरानी योजनाओं के लेआउट और दस्तावेजों से पीएसी कंपनी से जांच करायी थी। इसमें जाजमऊ, के ब्लाक किदवईनगर, जूही राखी मंडी, डब्ल्यू ब्लाक जूही समेत कई जगह खाली भूखंड मिले थे। कई लोगों ने जमीन को अपना बताकर बेच दिया था।