Love Jihad Kanpur Case: एसआइटी की पकड़ में नहीं आए पर्दे के पीछे के खिलाड़ी, कई बिंदुओं पर विफल होती नजर आ रही पुलिस
जांच में केवल खतरनाक मंसूबों की ही लग सकी भनक सभी निकाह अवैध। जूही लाल काॅलोनी के छह मामले सामने आए पांच आरोपित आपस में निकले दोस्त। सूत्रों के मुताबिक जो रिपोर्ट आइजी को सौंपी गई है उसमें कुछ तथ्य बेहद स्पष्ट हैं।
कानपुर, जेएनएन। लव जिहाद को लेकर गठित एसआइटी की रिपोर्ट बहुत चौकाने वाली तो नहीं है, लेकिन उससे यह तो तय हो गया कि आरोपितों के मंसूबे सही नहीं हैं। हालांकि एसआइटी पर्दे के पीछे रहकर लव जिहादियों को संरक्षण देने वालों का पता भी नहीं लगा पाई। यह भी सामने नहीं आ सका कि आरोपितों को आर्थिक मदद कहां से मिलती है। शहर में लव जिहाद के मामले प्रकाश में आने के बाद गठित एसआइटी के सामने जांच के कई बिंदु थे। उन्हें पता लगाना था कि क्या आरोपितों के बीच कोई आपसी संबंध हैं। उन्हें सामाजिक और आर्थिक मदद कौन देता है, वह कौन लोग हैं जो समाज के युवाओं को ऐसा करने के लिए उत्साहित करते हैं। सूत्रों के मुताबिक जो रिपोर्ट आइजी को सौंपी गई है, उसमें कुछ तथ्य बेहद स्पष्ट हैं, जबकि कई बिंदुओं पर पुलिस को कोई सफलता नहीं मिली।
इन बिंदुओं पर मिली सफलता जूही लाल काॅलोनी के आरोपितों के लेकर दैनिक जागरण ने जो सवाल खड़े किए थे, सही साबित हुए। भले ही शालिनी यादव प्रकरण में आरोपित फैसल के पक्ष में बयान देकर उसे बचा लिया हो, लेकिन जांच सामने आया है कि फैसल के अन्य चारों आरोपितों के साथ संबंध थे। पांचों आपस में दोस्त थे। उनके मोबाइल सीडीआर से इसकी पुष्टि हुई है। पुलिस ने भले ही इस संबंध में खुलकर नहीं लिखा, लेकिन पांच दोस्त और उन सभी के द्वारा दूसरे धर्म की लड़कियों को प्रेम जाल में फंसाना लव जिहाद नहीं तो और क्या है। एसआइटी ने सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के पूर्व के आदेशों को नजीर बनाते हुए कहा है कि कोई भी निकाह स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत नहीं हुए, ऐसे में सभी निकाह कानूनी रूप से शून्य हैं। एसआइटी की जांच में जिन आठ मामलों में लव जिहाद के स्पष्ट संकेत मिले हैं, उसमें चार मामले ऐसे हैं, जिनमें नाम बदलकर लड़कियों को प्रेम जाल में फंसाया गया, जबकि निकाह के बाद शोषण के भी दो मामले सामने आए।
पाकिस्तानी कनेक्शन का शिगूफा निकला अफवाह
पिछले दिनों मीडिया में जोरशोर से दावा किया गया कि एसआइटी को लव जिहाद के मामलों में पाकिस्तानी कनेक्शन का पता चला है। आइजी को सौंपी गई रिपोर्ट में इस संबंध में कुछ भी नहीं कहा गया। यह शिगूफा महज अफवाह साबित हुआ।
इनका ये है कहना
एसआइटी की रिपोर्ट का अध्ययन किया जा रहा है। रिपोर्ट के तथ्यों से शासन को भी अवगत कराया जाएगा। - मोहित अग्रवाल, आइजी