चित्रकूट में यहां आए थे प्रभु, बताएगी 700 फीट ऊंचाई पर लहराती ' श्रीराम पताका '

इस पहाड़ की चोटी पर पर्यटन विभाग 25 फीट लंबी व 11 फीट चौड़ी पताका लगा रहा है। इस प्रकार यह पताका करीब सात सौ फीट ऊंचाई पर लहराते हुए आने वाले सैलानियों को चित्रकूट में प्रभु श्रीराम के आने का संदेश देगी।

By Akash DwivediEdited By: Publish:Tue, 27 Jul 2021 06:45 AM (IST) Updated:Tue, 27 Jul 2021 01:17 PM (IST)
चित्रकूट में यहां आए थे प्रभु, बताएगी 700 फीट ऊंचाई पर लहराती ' श्रीराम पताका '
वाल्मीकि आश्रम के चोटी में लगाए जाने वाली श्रीराम पताका की डिजाइन। जागरण

चित्रकूट (हेमराज कश्यप)। श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट में बहुत जल्द पर्यटकों का स्वागत वाल्मीकि आश्रम पहाड़ की चोटी पर लहराती 101 फीट ऊंची भगवा पताका करती दिखेगी। यह श्रीराम पताका चित्रकूट के रास्ते पर 70-80 किलोमीटर दूरी से ही नजर आ जाएगी। चित्रकूट का प्रवेश द्वार कहे जाने वाले झांसी-मीरजापुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर बगरेही गांव के समीप लवकुश की जन्मभूमि और रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि के आश्रम का योगी सरकार कायाकल्प कर रही है। इस स्थान पर भगवान श्रीराम वनवास काल में पहुंचे थे और महर्षि वाल्मीकि के निर्देश पर उन्होंने चित्रकूट में साढ़े ग्यारह साल बिताए थे। यह आश्रम करीब छह सौ फीट ऊंचे पहाड़ पर है। इस पहाड़ की चोटी पर पर्यटन विभाग 25 फीट लंबी व 11 फीट चौड़ी पताका लगा रहा है। इस प्रकार यह पताका करीब सात सौ फीट ऊंचाई पर लहराते हुए आने वाले सैलानियों को चित्रकूट में प्रभु श्रीराम के आने का संदेश देगी।

3.07 करोड़ रुपये की बनाई गई योजना : योगी सरकार वाल्मीकि आश्रम में अभी 1.88 करोड़ रुपये से सीढ़ी निर्माण, टीन शेड, बेंच निर्माण आदि का काम करा रही है। यह काम वन विभाग करा रहा है। आश्रम के कायाकल्प के और काम के लिए पर्यटन विभाग ने 3.07 करोड़ रुपये की कार्ययोजना तैयार की है। आश्रम के लिए दो गेट, बाउंड्रीवाल, प्रतीक्षालय समेत 101 फीट ऊंची पताका लगाई जाएगी। बता दें, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक साल पूर्व वाल्मीकि जयंती पर आश्रम आए थे। तभी से यह आश्रम सरकार की प्राथमिकता में है। आश्रम के महंत भरतदास भी कई बार मुख्यमंत्री से मिल चुके हैं।

इनका ये है कहना वाल्मीकि आश्रम को सरकार अलौकिक बनाना चहती है। पर्यटन विभाग ने विकास का माडल तैयार किया है। 101 फीट ऊंची श्रीराम पताका लगाने की भी योजना है, जो पहाड़ की चोटी पर लगाई जाएगी। इसे प्रयागराज सीमा से देखा जा सकेगा। - शक्ति सिंह, पर्यटन अधिकारी चित्रकूट।

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