बागवानी के शौकीन हैं तो आपके काम की है ये खबर, 11वीं के छात्र ने बनाया बड़े काम का ग्रास कटर
कानपुर में सेठ आनंदराम जयपुरिया स्कूल में 11वीं के छात्र कुशाग्र ढींगरा ने सोलर ग्रास कटर तैयार किया है जिससे अब घास काटते समय बिजली के तार को संभालने या फिर इंजनयुक्त कटर में डीजल डालने का झंझट नहीं रहेगा।
कानपुर, [समीर दीक्षित]। मैदानों व पार्कों में उगी घास, झाडिय़ां उनकी सुंदरता को कम कर देती हैं। बागवानी के शौकीन लोगों के लिए मैदान और पार्क की सुंदरता ही सबसे अहम होती है। इसके लिए वो हर संभव प्रयास करने को तैयार रहते हैं। उन्हें अब 11वीं के छात्र के आविष्कार से एक और सुविधा मिलने वाली है। अब उन्हें पार्क या मैदान में घास काटते समय बिजली के तार को संभालने या फिर इंजनयुक्त कटर में डीजल डालने का झंझट नहीं रहेगा।
सौर ऊर्जा संचालित ग्रास कटर बनाया
अबतक मैदान और पार्क में घास काटने के लिए प्रयोग होने वाला ग्रास कटर डीजल या बिजली से चलता है। अब सेठ आनंदराम जयपुरिया स्कूल में 11वीं के छात्र कुशाग्र ढींगरा ने सोलर ग्रास कटर तैयार किया है, जो पूरी तरह सौर ऊर्जा से संचालित है। वहीं इस ग्रास कटर का उपयोग करने से कार्बन उत्सर्जन न के बराबर होता है। इसे तैयार करने में छह माह का समय लगा। कुछ दिनों पहले आइआइटी कानपुर में हुए टेक्नोकल्चरल फेस्ट में कुशाग्र ने इस सोलर ग्रास कटर की प्रस्तुति दी थी, जिसे सभी ने सराहा भी था।
एक बार चार्ज होने पर चार-पांच घंटे का बैकअप
कुशाग्र बताते हैं कि यह मशीन जब एक बार फुल चार्ज हो जाती है तो चार-पांच घंटे का बैकअप इसमें रहता है। अगर आप इसका उपयोग सूरज की रोशनी में कर रहे हैं तो यह और अधिक समय तक चार्ज रहती है। कुशाग्र ने इसे स्कूल की अटल टिंंकङ्क्षरग लैब में बनाया है। 5000 रुपये आई लागत क शाग्र ने बताया कि सोलर ग्रास कटर को तैयार करने में 5000 रुपये लागत आई। बोले, बाजार में जो ग्रासकटर मिलते हैं, उनकी औसतन कीमत 15 से 20 हजार रुपये तक होती है। उन्होंने कहा, स्कूल के माध्यम से ही किसी निजी कंपनी से और अधिक मशीनें तैयार करने के संबंध में बात करेंगे। सोलर ग्रास कटर बन जाने की जानकारी अटल इनोवेशन मिशन को दे दी गई है।