इटावा में छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म करने वाले तीन को उम्रकैद, 17 साल पहले पिस्टल दिखा की थी घटना

शासकीय अधिवक्ता तरुण कुमार शुक्ल ने बताया कि थाना चौबिया में 11 नवंबर 2004 को तत्कालीन एसएसपी के आदेश पर संजीव यादव उमेश यादव निवासी गांव कांकरपुरा चौबिया व गुड्डू यादव निवासी वमुरी थाना सैफई के खिलाफ मारपीट-सामूहिक दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया गया था।

By Shaswat GuptaEdited By: Publish:Tue, 12 Oct 2021 10:40 PM (IST) Updated:Tue, 12 Oct 2021 10:40 PM (IST)
इटावा में छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म करने वाले तीन को उम्रकैद, 17 साल पहले पिस्टल दिखा की थी घटना
कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश की खबर से संबंधित प्रतीकात्मक फोटाे।

इटावा, जेएनएन। 17 साल पहले घर से कालेज जा रही छात्रा को अगवा करके सामूहिक दुष्कर्म करने वालों को अपर सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रैक कोर्ट शीरीन जैदी ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। 10-10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। घटना के समय मामला काफी चर्चा में रहा था। सामाजिक संगठनों के विरोध प्रदर्शनों के चलते पुलिस ने आरोपितों को जल्दी पकड़कर जेल भेजा था।  

शासकीय अधिवक्ता तरुण कुमार शुक्ल ने बताया कि थाना चौबिया में 11 नवंबर 2004 को तत्कालीन एसएसपी के आदेश पर संजीव यादव, उमेश यादव निवासी गांव कांकरपुरा चौबिया व गुड्डू यादव निवासी वमुरी थाना सैफई के खिलाफ मारपीट-सामूहिक दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया गया था। मुकदमे के मुताबिक, छह नवंबर 2004 को सुबह करीब 10 बजे 15 साल की कक्षा 11 की छात्रा अपने छोटे भाई व गांव के अन्य बच्चों के साथ पैदल कालेज जा रही थी। रास्ते में तीनों आरोपित बाइक से उसे अगवा कर ले गए। छात्रा के स्वजन तलाश करते रहे, लेकिन उसका पता नहीं चला। तीसरे दिन आठ नवंबर को रात आठ बजे आरोपित छात्रा को बेहोशी हालत में उसके घर के पास फेंक गए थे। होश आने पर उसने बताया था कि मैनपुरी जिले के कुर्रा थानाक्षेत्र के एक गांव में आरोपितों ने उसे रखा था। वहां पर तीनों ने पिस्टल दिखाकर जबरन सामूहिक दुष्कर्म किया। पीडि़ता को लेकर स्वजन थाने गए, लेकिन एफआइआर दर्ज नहीं हुई। मामले ने तूल पकड़ा तब तत्कालीन एसएसपी के आदेश पर मुकदमा दर्ज हुआ था। तीनों आरोपितों ने पकड़े जाने के कई माह बाद हाई कोर्ट से जमानत करा ली थी। तत्कालीन एसओ चौबिया ने जांच करके तीनों के खिलाफ आरोपपत्र न्यायालय में पेश किया था। विभिन्न कारणों से यह मामला विचाराधीन बना रहा, लेकिन फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई शुरू होने पर एक साल में अपर सत्र न्यायाधीश शीरीन जैदी ने साक्ष्यों के आधार पर निर्णय सुना दिया।   

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