चित्रकूट : डीएम को लिखा पत्र... कूप में पानी नहीं रहेगा तो यहां पर पर्यटक क्यों आएंगे
कूप का जल स्तर गिरना चिंता का विषय है। पौराणिक कूप भगवान राम के वनवास काल से जुड़ा है जिसके दर्शन और प्रसाद रूप में जल लेने देश और विदेश से रामभक्त आते हैं। मकर संक्रांति में पांच दिन का विशाल मेला भी लगता है।
चित्रकूट (हेमराज कश्यप)। तपोभूमि की पहचान भगवान राम से जुड़े पौराणिक स्थलों से हैं। जिसमें भरतकूप प्रमुख स्थान है। जिसके जल का ही महत्व है, लेकिन कूप का जल स्तर बीते पांच साल में नीचे गिर रहा है। माना जा रहा है कि यह पहाड़ों में हो रहे खनन व हैवी ब्लास्टिंग से है। जिसको लेकर चित्रकूट के संत महंतों पर रोष है तो पर्यटन विभाग भी भरतकूप को लेकर चिंतित है। उसने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि कूप के गिर रहे जल स्तर को लेकर जांच कराएं। यदि कूप मे पानी नहीं रहेगा तो यहां पर पर्यटक क्यों आएंगे।
भरतकूप क्षेत्र में अवैध खनन, पट्टाधारकों द्वारा हैवी ब्लास्टिंग और वन क्षेत्र खनन से जलवायु संकट खड़ा हो रहा है। जंगल के साथ पहाड़ नष्ट हो रहे हैं पहाड़ों पर खनन में अधिकारियों व खनन माफिया का गठजोड़ हाबी है। खनिज विभाग अनियमितता को नजर अंदाज किए है लेकिन भरतकूप को लेकर पर्यटन विभाग ने चिंता व्यक्त की है। दैनिक जागरण के पहाड़ों पर संकट अभियान को लेकर विभाग ने संज्ञान में लेते हुए जिलाधिकारी को पत्र लिखा है। पर्यटन अधिकारी शक्ति सिंह ने बताया कि पत्र के माध्यम से डीएम को भरतकूप की स्थित से अवगत कराया गया है। कूप का जल स्तर गिरना चिंता का विषय है। पौराणिक कूप भगवान राम के वनवास काल से जुड़ा है जिसके दर्शन और प्रसाद रूप में जल लेने देश और विदेश से रामभक्त आते हैं। मकर संक्रांति में पांच दिन का विशाल मेला भी लगता है। भूजल में आ रहे परिवर्तन के कारण को जानने के लिए जांच कराई जाए, ताकि कूप को बचाने के उपाय किए जा सके।
संतों के बोल
चित्रकूट की पहचान कामदगिरि, मंदाकिनी व भरतकूप हैं। भरतकूप के गिरते जल स्तर को लेकर संतों के साथ बैठक करेंगे और जिलाधिकारी से मिल कर समस्या समाधान की मांग की जाएगी।महंत दिव्यजीवनदास, दिगंबर अखाड़ा भरत मंदिर