वकीलों ने मंदिर को भी नहीं छोड़ा, किया कब्जा, कचहरी में सड़क पर बने मंदिर में खोल दिया बस्ता
कचहरी रोड पर चेतना चौराहा के पास पुराना हनुमान मंदिर था।मंदिर की जगह भी ठीक ठाक थी।यह मंदिर पेड़ के नीचे स्थित था।अांधी तूफान में पेड़ गिरा तो मंदिर क्षतिग्रस्त हो गया।जिस पर वकीलों ने कब्जा कर लिया।शिकायत बार एसोसिएशन पहुंची तो समझौता हो गया।
कानपुर, जेएनएन। कचहरी में चेंबर के लिए मारामारी है।अव्वल तो चेंबर हैं नहीं और जो हैं भी वह इतने महंगे की दाम सुनकर ही आप चौक जाएंगे।ऐसे में कचहरी में आने वाले नए वकीलों को कब्जे का रास्ता सहज और आसान दिखता है।कचहरी परिसर के अंदर और बाहर सड़क तक कब्जा कर बनाए गए चेंबर इसका उदाहरण हैं।लेकिन चेंबर बनाने की ललक में वकीलों ने मंदिर परिसर को भी नहीं छोड़ा और वहां भी अपने बस्ते खोल दिए।
कचहरी रोड पर चेतना चौराहा के पास पुराना हनुमान मंदिर था।मंदिर की जगह भी ठीक ठाक थी।यह मंदिर पेड़ के नीचे स्थित था।अांधी तूफान में पेड़ गिरा तो मंदिर क्षतिग्रस्त हो गया।जिस पर वकीलों ने कब्जा कर लिया।शिकायत बार एसोसिएशन पहुंची तो समझौता हो गया।तय हुआ कि मंदिर का जीर्णोद्वार कराया जाएगा इसके एवज में मंदिर परिसर का आधा हिस्सा चेंबर में तब्दील कर दिया गया।इसके बाद कचहरी चौकी के ठीक सामने सड़क पर बने मंदिर के अगल-बगल वकीलों ने कब्जा कर बैठना शुरू कर दिया।पहले यहां लकड़ी की मेज और कुर्सी रखी गई फिर टीनशेड डालकर वकीलों ने मंदिर के चबूतरे पर कब्जा कर अपना अस्थायी चेंबर बना लिया।बता दें मंदिर के साथ ही सड़क के दोनों ओर वकीलों और स्टांप वेंडरों के कब्जे हैं।कुछ वकीलों ने यहां पक्के निर्माण करा लिए हैं जबकि अधिकतर निर्माण अस्थायी हैं।हाल ही में पकड़े गए तंबाकू व्यवसायी ने भी महानगर मजिस्ट्रेट के बगल में कब्जा कर चेंबर बना लिया है।इस मामले में बार एसोसिएशन के अध्यक्ष बलजीत सिंह यादव का कहना है कि वह जगह कचहरी परिसर से बाहर की है।ऐसे में कब्जा हटाने का अधिकार जिला प्रशासन और नगर निगम के पास है।