एक माह पहले 4,700 रुपये क्विंटल बिक रही लाही इस समय 6,200 पर पहुंची, जानिए इसकी वजह
कारोबारियों के मुताबिक सरसों का तेल पूरी तरह शुद्ध देना होगा इसलिए लाही की मांग बहुत अधिक बढ़ गई है। सरसों का तेल बनाने वाले इसका स्टॉक भी कर रहे हैं। इसका असर लाही की कीमतों पर पड़ रहा है।
कानपुर, जेएनएन। एक माह पहले 4,700 रुपये क्विंटल बिक रही लाही इस समय 6,200 पर पहुंच चुकी है। लाही के भाव में जबरदस्त तेजी का असर का तेल के भावों पर भी पड़ रहा है। फुटकर बाजार में सरसों का तेल 140 से फिर 150 रुपये किलो पर पहुंच गया है। वहीं थोक बाजार में खुला तेल 140 रुपये प्रतिकिलो के करीब हो गया है।
जून से सरसों के तेल में किसी तरह की ब्लेडिंग नहीं हो सकेगी। अगर सरसों का तेल लिखा गया है तो उसमें पूरी तरह से सरसों का तेल ही होना चाहिए। कोई दूसरा तेल उसमें मिलाया नहीं जा सकेगा। अभी ब्लेडिंग की अनुमति है, इसलिए सरसों के तेल में दूसरे तेल भी मिला लिए जाते हैं। कारोबारियों के मुताबिक सरसों का तेल पूरी तरह शुद्ध देना होगा, इसलिए लाही की मांग बहुत अधिक बढ़ गई है। सरसों का तेल बनाने वाले इसका स्टॉक भी कर रहे हैं। इसका असर लाही की कीमतों पर पड़ रहा है। इसके साथ ही इस समय रमजान भी है जिसका असर तेल की कीमतों पर भी पड़ रहा है।
एक नजर भाव पर
150 रुपये किलो पर सरसों का तेल फुटकर में, एक माह पहले 140 में था। 4,700 रुपये क्विंटल वाली लाही इस समय 6,200 रुपये पहुंची। 1,700 से 1,800 क्विंटल लाही रोज गल्ला मंडी व बाहर बाजार में आ रही। 118 रुपये से 140 रुपये थोक बाजार में तेल के एक माह में हो गए।दूसरे खाद्य तेल भी महंगे : दूसरे खाद्य तेल यानी पाम ऑयल, राइस ब्रान व सोया रिफाइंड के भाव भी बढ़े हुए हैं। इसका सरसों के तेल पर भी असर है। पाम ऑयल 134 रुपये, राइस ब्रान तेल 132 रुपये किलो और सोया रिफाइंड 143 रुपये प्रतिकिलो थोक में है।
इनका ये है कहना लाही की मांग लगातार बनी हुई है। आगरा के सलोनी से लगातार कानपुर लाही आ रही है, इससे लाही की कीमतें बढ़ रही हैं। नई फसल होने की वजह से किसानों को फायदा हो रहा है।
ज्ञानेश मिश्र, प्रदेश अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश खाद्य पदार्थ उद्योग व्यापार मंडल।