जानिए, उत्तर प्रदेश जलनिगम का इतिहास, ब्रिटिश शासन में क्या थे इसके अलग अलग नाम

कानपुर में जलनिगम शहर में जलापूर्ति की सुविधा दे रहा है। इसके आलवा यह विभाग बाढ़ सूखा राहत आप्तकालीन सेवाओं में भी अपना सार्थक योगदान देता आया है। शहरियों को सुविधा देने वाले विभाग के कर्मी खुद सुविधाओं से वंचित हैं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sun, 28 Feb 2021 12:53 PM (IST) Updated:Sun, 28 Feb 2021 05:44 PM (IST)
जानिए, उत्तर प्रदेश जलनिगम का इतिहास, ब्रिटिश शासन में क्या थे इसके अलग अलग नाम
कानपुर में उत्तर प्रदेश जलनिगम की सुविधाएं।

कानपुर, जेएनएन। जल ही जीवन है, नगर वासियों को शुद्ध जल की निरंतर आपूर्ति के लिए कानपुर जलनिगम सेवा में सदैव तत्पर है। यह सिलिसला ब्रिटिश शासन काल से चला आ रहा है। आजादी से पहले उत्तर प्रदेश जलनिगम को अलग अलग नामों से जाना जाता था। स्वतंत्रता के बाद इसे जल निगम का नाम मिला और तब से यह विभाग कार्य कर रहा है।

उत्तर प्रदेश जल निगम जो अपने पूर्व नामों पब्लिक हेल्थ गवर्नमेंट इंजीनियर डिपार्टमेंट ऑफ लोकल सेल्फ गवर्नमेंट इन अर्बन डिपार्मेंट से ब्रिटिश शासन काल से एक पूर्ण सरकारी विभाग के रूप में कार्य कर रहा था। वर्ष 1977 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नीतिगत निर्णय के तहत 40 करोड़ों का अनुदान प्राप्त करने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री दिवंगत हेमंती नंदन बहुगुणा के समय इसका नाम उत्तर प्रदेश जल निगम रखा गया था। उत्तर प्रदेश शासन ने यह भी स्पष्ट किया था कि उत्तर प्रदेश जल निगम को पूर्व की भांति समस्त सुविधाएं उत्तर प्रदेश के कार्यरत कर्मचारियों को प्राप्त होती हैं। वह समस्त सुविधाएं जल निगम के कर्मचारियों को प्राप्त होती रहेंगी, लेकिन जल निगम नाम परिवर्तन से पूर्व विभाग को राजकीय कोषागार से वेतन पेंशन प्राप्त होती थी, जो जल निगम में समाप्त हो गई हैं।

उत्तर प्रदेश जल निगम संघर्ष समिति के पदाधिकारी हरिकेश कुमार ने बताया कि उत्तर प्रदेश जल निगम विभाजन से पूर्व चीन की सीमा नेपाल की सीमा के साथ हिमालया रेंज, शिवालिक रेंज के साथ ही प्रदेश के जंगली आवासीय बस्तियों में भी पेयजल उपलब्ध कराने के साथ ही बाढ़ सूखा राहत आप्तकालीन सेवाओं में अपना सार्थक योगदान दिया। इसके बाद भी जल निगम जल निगम को ना तो सातवें वेतनमान का लाभ दिया जा रहा है, ना ही समय से वेतन पेंशन नहीं दी, महंगाई भत्ता पेंशनर्स की वृद्धावस्था में भी समय से ना तो ग्रेजुएटी, ना ही अवकाश नकदीकरण और ना ही भविष्य निर्वाह निधी का भुगतान हो रहा है। छह माह समाप्त होने में एक दिन शेष रह गया है। समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि जल्द आंदोलन किया जाएगा।

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