विशेषज्ञों ने ओमिक्रोन पर कोवैक्सीन को बताया कारगर, जानिए- कैसे बनी और किस तरह करती है काम

देश-दुनिया में खलबली मचा रहे नए वैरिएंट ओमिक्रोन को लेकर चिंता सताने लगी है । वैक्सीनेशन को लेकर भी तरह तरह की बातें शुरू होने के बीच जीएसवीएम मेडिकल कालेज के विशेषज्ञों ने कोवैक्सीन को प्रभावी बताया है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sun, 05 Dec 2021 02:53 PM (IST) Updated:Sun, 05 Dec 2021 05:27 PM (IST)
विशेषज्ञों ने ओमिक्रोन पर कोवैक्सीन को बताया कारगर, जानिए- कैसे बनी और किस तरह करती है काम
नए वैरिएंट ओमिक्रोन पर कोवैक्सीन प्रभावी होगी।

कानपुर, जागरण संवाददाता। दुनिया भर में खलबली मचाने वाला कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्रोन पर स्वदेशी कोवैक्सीन सबसे कारगर होगी। यह राय जीएसवीएम मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलाजी विभाग के विशेषज्ञों की है। उनका कहना है कि कोवैक्सीन में इनएक्टिवेटेड (निष्क्रिय) होल कोरोना वायरस का इस्तेमाल किया गया है। ऐसे में वायरस में चाहे जितने भी म्यूटेशन हों, लेकिन वायरस का मूल स्वरूप तो नहीं बदलेगा।

ऐसे तैयार की कोवैक्सीन

स्वदेशी कोवैक्सीन का निर्माण हैदराबाद की भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड ने पुणे की नेशनल इंस्टीट््यूट आफ वायरोलाजी (एनआइवी) के साथ मिलकर किया है। एनआइवी ने कोरोना संक्रमित व्यक्ति के शरीर से कोरोना वायरस का एक स्ट्रेन अलग कर लिया था। उसके बाद भारत बायोटेक के वैज्ञानिकों ने इस स्ट्रेन पर रिसर्च करके इनएक्टिवेटेड यानी निष्क्रिय वायरस तकनीक पर वैक्सीन तैयार की गई है। जब वैक्सीन लगाई जाती है तो शरीर में कोई नुकसान नहीं पहुंचा और न ही संक्रमण होता है। शरीर में निष्क्रिय प्रवेश करने पर हमारा इम्यून सिस्टम (प्रतिरोधक प्रणाली) वायरस की पहचान कर उसके खिलाफ एंटीबाडी तैयार कर लेता है।

ऐसे करती है काम : वैक्सीनेशन के बाद शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबाडी तैयार हो जाती है। जब कोरोना वायरस शरीर में प्रवेश कर संक्रमण की कोशिश करता है तो हमारा इम्यून सिस्टम उस वायरस को पहचान कर उसके स्पाइक प्रोटीन पर हमला करके नष्ट कर देती है। इस प्रकार कोरोना वायरस के संक्रमण से हमारा बचाव होता है।

-कोवैक्सीन पहले ही कोरोना के अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ कारगर रही है। अब नए वैरिएंट ओमिक्रोन के खिलाफ भी बेहतर कार्य करेगी। कोवैक्सीन में होल इनएक्टिवेटेड कोरोना वायरस का इस्तेमाल किया गया है। इसका मतलब यह कतई न समझें कि वैक्सीनेशन के बाद संक्रमण नहीं होगा। संक्रमण होगा, लेकिन गंभीरता कम होगी। -डा. मधु यादव, विभागाध्यक्ष माइक्रोबायोलाजी, जीएसवीएम

-कोवैक्सीन की पहली डोज लगवाने पर 40 फीसद तक इम्यूनिटी आती है। दूसरी डोज लगवाने के बाद इम्यूनिटी बढ़कर 80 फीसद तक पहुंच जाती है। हालांकि पहले के वैरिएंट की अपेक्षा इसके संक्रमण की तीव्रता अधिक है। अल्फा की क्षमता 2.5 और डेल्टा की 7 आर नाट फैक्टर थी, जबकि ओमिक्रोन के संक्रमण की तीव्रता पांच गुना अधिक है। वायरस में म्यूटेशन हुए हैं, लेकिन मूल स्वरूप तो वही है। इसलिए कोवैक्सीन ही कारगर होगी। -डा. विकास मिश्रा, प्रोफेसर, माइक्रोबायोलाजी विभाग, जीएसवीएम

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