कानपुर: पीएफ घोटाले में आरोपितों पर पुलिस ने बढ़ाई तीन धाराएं, अब और कसेगा पुलिस का शिकंजा
दैनिक जागरण ने केस्को के संविदा कर्मियों के पीएफ की रकम धोखाधड़ी करके निकाले जाने की खबर प्रकाशित की थी। खबर का संज्ञान लेते हुए पुलिस ने मुख्य आरोपित मुकुल दुबे को गिरफ्तार करके जेल भेजा था। पुलिस ने 22 नवंबर को इस प्रकरण में जो चार्जशीट दाखिल की है।
कानपुर, जागरण संवाददाता। केस्को के संविदा कर्मियों के पीएफ में हुए घोटाले में कर्नलगंज पुलिस ने चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी है। पुलिस ने चार्जशीट में आरोपित मुकुल दुबे के खिलाफ कूटरचना, साजिश व आइटी एक्ट की तीन धाराएं और बढ़ा दी हैं। इससे आरोपित पर कानून का शिकंजा और कस गया है।
दैनिक जागरण ने केस्को के संविदा कर्मियों के पीएफ की रकम धोखाधड़ी करके निकाले जाने की खबर प्रकाशित की थी। खबर का संज्ञान लेते हुए पुलिस ने मुख्य आरोपित मुकुल दुबे को गिरफ्तार करके जेल भेजा था। पुलिस ने 22 नवंबर को इस प्रकरण में जो चार्जशीट दाखिल की है, उसमें 21 नए आरोपितों के नाम खोले हैं। उनकी जांच अब शुरू हुई है। वहीं पुलिस ने संविदा कर्मचारी अजय सिंह की तहरीर पर आइपीसी की धारा 420, 467, 468 और 406 के तहत मुकदमा दर्ज कराया था। चार्जशीट में पुलिस ने आइपीसी की धारा 471, 120बी और 66डी आइटी एक्ट की धारा बढ़ाई है।
धारा, उसका मतलब और सजा
धारा 420 : धोखाधड़ी। अधिकतम सात साल की सजा। आर्थिक दंड भी दिया जा सकता है।
धारा 467 : धोखाधड़ी के प्रायोजन से कूटरचना। आजीवन कारावास। 10 वर्ष की सजा व आर्थिक दंड एक साथ।
धारा 468 : धोखाधड़ी के लिए जाली दस्तावेजों का प्रयोग। सात साल तक की सजा। आर्थिक दंड भी।
धारा 406 : विश्ववासघात। तीन वर्ष तक के अधिकतम कारावास संग आर्थिक दंड या दोनों दंड दिए जा सकते हैं।
धारा 471 : कूटरचित दस्तावेज का असली के रूप में प्रयोग करना। दो साल की सजा, आर्थिक दंड या दोनों।
धारा 120बी : साजिश रचना। दोषी व्यक्ति को फांसी, उम्रकैद या दो वर्ष या उससे अधिक अवधि का कठिन कारावास मिला तो दंडनीय अपराध करने की आपराधिक साजिश में शामिल होने वाले को भी अपराध करने वाले के बराबर सजा मिलेगी।
धारा 66 आइटी एक्ट : धोखाधड़ी लिए इलेक्ट्रानिक तरीकों का प्रयोग। तीन साल तक की सजा, जुर्माना या दोनों।