कश्मीर में आतंकियों को देना होगा उन्हीं की भाषा में जवाब, जागरण विमर्श में बोले डीएवी कालेज के प्रो. पुष्कर

दैनिक जागरण कानपुर कार्यालय में कश्मीर समस्या और अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य विषय पर विमर्श आयोजित हुआ। जहां डीएवी कालेज के राजनीति विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर पुष्कर पांडेय ने अपने विचार रखे। उनका कहना था कि कश्मीर में आतंकियों को उन्हीं की भाषा में जवाब देने की आवश्यकता है।

By Shaswat GuptaEdited By: Publish:Tue, 19 Oct 2021 08:37 AM (IST) Updated:Tue, 19 Oct 2021 05:36 PM (IST)
कश्मीर में आतंकियों को देना होगा उन्हीं की भाषा में जवाब, जागरण विमर्श में बोले डीएवी कालेज के प्रो. पुष्कर
कश्मीर समस्या पर अपने विचार रखते पुष्कर पांडेय।

कानपुर, जेएनएन। कश्मीर में फिर से आतंकी ढांचा न पनपने पाए, इसको लेकर केंद्र सरकार को प्रभावी कदम उठाने चाहिए। आतंकियों के साथ उन्हीं की भाषा में निपटने की जरूरत है। वहां की गतिविधियों को देखते हुए इस पर काम होना चाहिए। तालिबान की भूमिका अब कश्मीर में नहीं है। हां, उसके अफगानिस्तान में कब्जे से जरूर आतंकियों के मंसूबों को फिर से बल मिल सकता है। ये बातें सोमवार को दैनिक जागरण कार्यालय में 'कश्मीर समस्या और अंतरराष्ट्रीय परिदृश्यÓ विषय पर आयोजित विमर्श में डीएवी कालेज के राजनीति विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर पुष्कर पांडेय ने कहीं।

उन्होंने कहा कि कश्मीर में वर्ष 1988-89 सेद हिंसा के दौर शुरू हुए। उसके बाद से अभी तक हिंसा के दौर जारी हैं। बीच में कुछ दिन के लिए यह थोड़ा रुकी थीं, लेकिन फिलहाल हो रही घटनाएं सामान्य ही मानी जाएंगी। अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के बाद से आतंकी फिर सिर उठाने लगे हैं। हालांकि, इसे संगठित या आकस्मिक अपराध में से किसी एक के तौर पर परिभाषित करने की जरूरत है। उन्होंने सवालों के जवाब में कहा कि इस माहौल को सुधारने में केंद्र सरकार अहम भूमिका निभा सकती है। सेना के साथ अर्धसैनिक बलों की टुकडिय़ां इसको लेकर काम कर रहीं हैं। हालांकि, आतंकियों का सीधा संंदेश है कि घाटी छोड़ो। इस मुहिम में वह अर्से से लगे हैं, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल सकी। सरकार को स्थानीय अराजकतत्वों के दमन को लेकर काम करना होगा। यह बहुत आसान नहीं है, लेकिन इससे ऐसा माहौल बनेगा कि दूसरे प्रांतों के लोग वहां जाकर बसेंगे। धीरे-धीरे बदलाव आ जाएगा।

2014 के बाद आए बड़े बदलाव: असिस्टेंट प्रोफेसर पांडेय ने एक सवाल के जवाब में कहा कि वर्ष 2014 से पहले और अब में कश्मीर में बड़े बदलाव आए हैं। अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बड़ी लकीर खींची है। इससे पहले तक कश्मीर को गर्म तवा मानते हुए कोई उसे छेडऩा नहीं चाहता था। मौजूदा केंद्र सरकार ने तमाम बंदिशें हटाईं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सीधे इस पर काम कर रहे हैं। कहा कि तालिबान के उद्भव के बाद से ही घाटी में आतंकी सिर उठा रहे हैं। इसीलिए कुछ दिन तक पहले बंद हुईं घटनाओं के बाद अचानक फिर टारगेट किलिंग बढ़ी है। चीन प्रत्यक्ष नहीं, अप्रत्यक्ष तौर पर मददगार हो सकता है। हां, पाकिस्तान इन घटनाओं के पीछे जरूर हो सकता है, क्योंकि उसकी शुरू से ही भारत को परेशान करने की नीति रही है।  

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