Karwa Chauth 2021: कानपुर में चांद के दीदार संग सुहागिनों ने मांगी पति की लंबी आयु, पांव छूकर लिया आशीर्वाद

Karwa Chauth Celebration गोविंदनगर की अन्नया का विवाह छह माह पहले हुआ था। अन्नया एक कंपनी में आडिटर के पद पर तैनात हैं। पहला करवाचौथ होने के कारण वह बहुत खुश थीं। सुबह पति के साथ गणेश मंदिर सुतरखाना जाकर पूजन अर्चन किया।

By Shaswat GuptaEdited By: Publish:Sun, 24 Oct 2021 09:04 PM (IST) Updated:Sun, 24 Oct 2021 09:04 PM (IST)
Karwa Chauth 2021: कानपुर में चांद के दीदार संग सुहागिनों ने मांगी पति की लंबी आयु, पांव छूकर लिया आशीर्वाद
कानपुर में करवा चौथ व्रत की पूजा के दौरान कथा पढ़तीं सुहागिनें।

कानपुर, जेएनएन। Karwa Chauth Celebration करवा चौथ पर पिया के नाम की हाथों में मेहंदी, सोलह श्रृंगार कर अखंड सौभाग्य की कामना के साथ सुहागिनों ने करवाचौथ का व्रत रखा। चलनी की ओट से चांद के साथ पिया का दीदार कर व्रत तोड़ा। पति के चरण छूकर आशीर्वाद लिया। पति ने भी उपहार दिया और पानी पिलाकर निर्जला व्रत का पारण कराया। स्वरूपनगर, आर्यनगर समेत कई जगहों पर अपार्टमेंट और दुर्गा मंदिर गोविंदनगर में सामूहिक पूजन का आयोजन किया गया। तमाम महिलाओं ने गोविंद नगर, दादानगर रेलवे ओवरब्रिज और नरेंद्र मोहन सेतु पर खड़े होकर पूजन किया। चांद और पिया के साथ सेल्फी भी ली। कई जगहों पर तो लोगों ने आतिशबाजी भी की।

गोविंदनगर की अन्नया का विवाह छह माह पहले हुआ था। अन्नया एक कंपनी में आडिटर के पद पर तैनात हैं। पहला करवाचौथ होने के कारण वह बहुत खुश थीं। सुबह पति के साथ गणेश मंदिर सुतरखाना जाकर पूजन अर्चन किया और प्रभु से पति के मंगलमय जीवन की कामना की। शाम को सबसे पहले सास और ननद ने उन्हें उपहार दिया और फिर चांद के साथ पति को देखकर व्रत का पारण किया। उनकी तरह काकादेव की राधिक भी इस व्रत को लेकर खासी उत्साहित थीं। उन्होंने तो पति को पहले से ही बता दिया था कि उन्हें करवाचौथ पर गंगा तट पर चांद का दीदार करना है। पति ने भी उनकी मांग पूरी की। विकास नगर की दीप्ती पांडेय और फजलगंज की रंभा मिश्रा खुशी से फूले नहीं समा रहीं थीं। दोनों के पति शहर से बाहर थे, लेकिन जैसे ही चांद निकलने का समय हुआ वे घर पहुंच गए। दीप्ती ने कहा कि पति से बड़ा और क्या तोहफा हो सकता है।

व्रत रखने वाली महिलाओं को इंतजार था कि जल्द से जल्द रात हो और चंद्रमा का उदय हो जिससे दर्शन कर पिया के हाथों व्रत तोड़ें। सूरज ढलते ही महिलाओं में चंद्रमा के दीदार को लेकर उनमें उत्सुकता बढ़ती ही गई। जैसे ही चांद निकला लगा मनोकामना पूरी हो गई और उनकी खुशियाें का ठिकाना ही नहीं रहा। सुहागिनों ने पहले चंद्रमा की आरती की फिर चलनी की ओट से चांद को देखा और पिया को देखने के बाद उनसे उपहार और आशीर्वाद लिया।

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