कानपुर का मौसम : सीजन की सबसे ठंडी रात, धुंध और गलन से सुबह की शुरुआत
उत्तर-पश्चिम से आ रही नम हवाओं के कारण तेजी से मौसम में बदलाव दिखना शुरू हो गया है। रात में शीत लहर और ठंड में इजाफा होने के साथ सुबह धुंध और गलन का भी अहसास होना शुरू हो गया है।
कानपुर, जागरण संवाददाता। उत्तर पश्चिम नम हवाओं ने रात में ठंड और शीतलहर बढ़ा दी है। बुधवार की रात इस सीजन की सबसे ठंडी रही है, न्यूनतम तापमान में सर्वाधिक गिरावट दर्ज की गई है। वहीं सुबह धुंध और गलन ने भी सताना शुरू कर दिया है। गुरुवार की सुबह सर्द हवाओं ने गलन का अहसास कराया तो धुंध की चादर छाई रहने से दृश्यता भी हल्की रही।
बीते कई दिनों से आसमान में छाए बादलों के छंटने के बाद मौसम में बदलाव नजर आने लगा है और तापमान भी गिरना शुरू हो गया है। इस सीजन का सबसे कम तापमान 24 नवंबर और 25 नंवबर को 9.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। इसके बाद आसमान में बादलों का डेरा बना रहने से न्यूनतम तापमान में इजाफा बना रहा था और मंगलवार की रात 10.8 डिग्री सेल्सियस पर पारा ठहरा था। लेकिन अचानक चौबीस घंटे के अंदर पारा दो डिग्री लुढ़कर बुधवार की रात 8.8 डिग्री सेल्सियस पर आकर रुका। यह रात इस सीजन में अबतक की सबसे ठंडी रात दर्ज की गई, फिलहाल मौसम विभाग ने तापमान में अभी और गिरावट की संभावना जताई है। हवा में नमी की मात्रा ज्यादा होने के कारण सुबह व शाम शीतलहर व धुंध ने भी असर दिखाना शुरू कर दिया है।
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि (सीएसए) के मौसम वैज्ञानिक डा. एसएन सुनील पांडेय ने बताया कि हिमालय के पास के इलाकों में नया पश्चिमी विक्षोभ लगातार अपना प्रभाव डाल रहा है। हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड में बर्फबारी जारी है। पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी के कारण कानपुर सहित मैदानी इलाकों में तापमान में गिरावट दर्ज की जा रही है। बिहार, यूपी, दिल्ली, झारखंड समेत कई और राज्यों में तेजी से ठंड बढ़ रही है। डा. पांडेय के मुताबिक अब शहर व आसपास के जिलों में सर्द हवाएं चलने की संभावना है।
उन्होंने बताया कि आने वाले सप्ताह में न्यूनतम तापमान में दो से तीन डिग्री की गिरावट भी आने की संभावना है। दिसंबर माह के अंत में अधिकतम तापमान में भी बड़ी गिरावट हो सकती है। धुंध भरी और धुंधली सुबह के साथ हवा में ठिठुरन महसूस की जा सकती है। उन्होंने बताया कि बंगाल की खाड़ी में उठा चक्रवात बंग्लादेश की ओर बढ़ रहा है। इससे निम्न दबाव का क्षेत्र खत्म हो रहा है। उन्होंने किसानों को सलाह दी है कि वह गेहूं, चना, सरसों, अलसी एवं सब्जियों आदि की बुवाई का कार्य करें।