नियम और मानक ताख पर, केडीए और राजस्व विभाग के खैरख्वाह लुटा रहे सरकारी जमीनें
कानपुर में सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे हो गए है। एनजीटी के प्रतिबंध और केडीए के मानक ताख पर रखे जाने के बाद भी कार्रवाई नहीं की जाती है। बिल्डर के खिलाफ मुकदमा दर्ज होता पर सरकारी जमीन से बेदखल नहीं किया जाता है।
कानपुर, जेएनएन। सरकारी जमीनों की लूट को लेकर जागरण द्वारा आईना दिखाए जाने से प्रशासन अब सख्त भले दिख रहा हो, पर उसी के मुलाजिमों की छत्रछाया में भूमाफिया पनप रहे हैं। कानपुर विकास प्राधिकरण द्वारा कागजी पेशबंदी के लिए कई कई नोटिस दिए जाते, मुकदमा दर्ज होता, पर कार्रवाई सिफर ही रहती है। बानगी बैराज मार्ग पर डूब क्षेत्र में हाईटेंशन लाइन के नीचे विकसित हो रही टाउनशिप है जिसमें अवैध निर्माण के खिलाफ केडीए द्वारा रस्मी कार्रवाई तो हुई, पर जिस सरकारी जमीन पर डेपलवर का कार्यालय और डेयरी बनी उसको छुआ तक नहीं गया। सरकारी जमीन लूटने वालों के खैरख्वाह केडीए में ही बल्कि राजस्व विभाग में भी हैं, जिनकी सरपरस्ती के चलते भी सरकारी जमीनें लुट रही हैं और आम रास्ते तबाह हो रहे हैं।
केडीए के नियमों को ताख पर रखने के साथ सरकारी जमीनों को लूटने वालों के खिलाफ होने वाली कार्रवाई का गलत करने वालों में कितना भय है, इसका अंदाजा ङ्क्षहदूपुर गांव में अवैध रूप से आबाद हो रही टाउनशिप को देखकर लगाया जा सकता है। छह माह पूर्व टाउनशिप से अवैध कब्जे हटाने को नोटिस दी गईं। यही नहीं कागजी तौर मजबूती रखने के लिए बिठूर थाने में बिल्डर के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया गया। इतना सब होने के बाद भी टाउनशिप में निर्माण चलता रहा। पिछले चार-पांच माह के दौरान आधा दर्जन मकान तन गए। पता चला है कि टाउनशिप में आ रही ङ्क्षहदूपुर ग्राम समाज की भूमि संख्या 540 पर बिल्डर कार्यालय और उसकी डेयरी बनी हुई है। हैरत इस बात की है कि राजस्व अभिलेखों के साथ कार्रवाई के लिए पहुंची केडीए व राजस्व विभाग की टीम को सरकारी जमीन पर हुआ वह निर्माण दिखा नहीं।
-केडीए या राजस्व विभाग की जमीनों पर जहां भी कब्जे हैं, उनकी जांच कराई जाएगी। उन्हें कब्जा मुक्त कराने के साथ लापरवाही बरतने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों की जवाबदेही भी तय की जाएगी। -आलोक तिवारी, डीएम