Kanpur Triple Murder: भाई का दावा और मनोवैज्ञानिक मत, जानिए- क्या है अवसाद की हकीकत

कल्याणपुर के डिविनिटी होम्स अपार्टमेंट में पत्नी व दो बच्चों की हत्या के बाद गायब डॉक्टर को लेकर मनोवैज्ञानिक अलग मत बता रहे हैं। भाई द्वारा अवगसादग्रस्त होने के दावे को भी सिरे से खारिज करते हुए तर्क दिए जा रहे हैं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sun, 05 Dec 2021 03:09 PM (IST) Updated:Sun, 05 Dec 2021 05:28 PM (IST)
Kanpur Triple Murder:  भाई का दावा और मनोवैज्ञानिक मत, जानिए- क्या है अवसाद की हकीकत
तिहरे हत्याकांड में आरोपित डॉक्टर पर मनोवैज्ञानिक का मत।

कानपुर, जागरण संवाददाता। पत्नी, बेटा और बेटी की हत्या करने वाले डाक्टर की अवसादग्रस्त होने की कहानी पर मनोवैज्ञानिकों को भरोसा नहीं है। वहीं दूसरी ओर भाई का दावा है कि कोविड काल में वेतन आधा हो गया था और बीमारी की वजह से भी अवसादग्रस्त थे। हालांकि मनोवैज्ञानिक अवसाद की कहानी को सिरे से खारिज कर रहे हैं। उनका कहना है कि निश्चित तौर पर पारिवारिक कारण रहे होंगे और हत्यारोपित डाक्टर पहले भी स्वजन पर हमलावर रहे होंगे। हालांकि वह एकल परिवार को भी दोषी मानते हैैं। उनका कहना है कि अगर संयुक्त परिवार में रहते तो शायद अन्य स्वजन उन्हें रोक सकते थे।

1.70 लाख से आधा हो गया था वेतन

कल्याणपुर थानाक्षेत्र के इंदिरा नगर स्थित डिविनिटी अपार्टमेंट होम में रहने वाले रामा मेडिकल कालेज में फोरेंसिक मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डा.सुशील कुमार अपनी शिक्षक पत्नी चंद्रप्रभा, बेटे शिखर और बेटी खुशी की हत्या के बाद से गायब हैं। बेटा व बेटी की गला दबाकर, जबकि पत्नी को सिर कूचकर मारा गया। फ्लैट से मिले नोट्स में कोरोना के नए वैरिएंट की वजह से तनाव में होने व अवसादग्रस्त होने की बात सामने अाई। वहीं जुड़वा भाई डॉ. सुनील ने भी पुलिस को सुशील द्वारा अवसादग्रस्त होने और पत्नी की हत्या की इच्छा जागृत होने की बात कहने की जानकारी दी थी।

भाई डाक्टर सुनील कुमार का दावा है कि कोविड काल से आधा वेतन और वो भी दो-तीन माह के अंतराल पर मिलना सुशील के अवसाद का बड़ा कारण बना। इससे पहले 1.70 लाख रुपये प्रतिमाह वेतन मिलता था। शिक्षक पत्नी का वेतन 90 हजार रुपये था। सुशील को काफी समय से अस्थमा की शिकायत थी। कुछ-कुछ समय अंतराल में उसे पंप करना पड़ता था। दवा करने के साथ मछली का भी सेवन करता था। घर पर छोड़े सुशील के पत्र में आंखों की गंभीर बीमारी की बात पर बोले, इसकी जानकारी नहीं है।

क्या कहती हैं मनोवैज्ञानिक

पूरे घटनाक्रम पर मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र की सहायक मनोवैज्ञानिक संध्या शुक्ला कहती हैैं कि क्षणिक आवेश में कोई तीन हत्याएं कर दे, ये बात कुछ अधूरी लगती है। जिस तरह से कत्ल किए गए हैैं, निश्चित तौर पर पारिवारिक पृष्ठभूमि में कोई निजी कारण रहा होगा। डाक्टर पहले भी परिवार पर हमलावर रहे होंगे। ये सही है कि संयुक्त परिवार में कई बार तनाव चरम पर होने के बावजूद बड़े-बुजुर्ग सहज तरीके से शांत करा देते हैैं।

पूर्व मंडलीय मनोवैज्ञानिक डा.एलके सिंह का कहना है कि पत्नी को सिर कूचकर मारना और ब'चों का गला दबाकर हत्या से इतना तो स्पष्ट है कि यह अवसाद का मामला नहीं है। कोई भी व्यक्ति अवसाद में तीन हत्याएं नहीं कर सकता, वह भी तब जब स्वजन अलग-अलग कमरे में हों। पत्नी की हत्या नफरत को दर्शा रही है और डाक्टर के दिमाग में नकारात्मक विचारों की तरंगें काफी समय से उठ रही होंगी। अवसाद में व्यक्ति की ऊर्जा का हृास होता है और नींद नहीं आती है लेकिन इसमें ऐसा कुछ नहीं दिखता है।

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