Kanpur Shahernama: यहां झूठी साबित हो गई एक कहावत, पत्नी की वजह से पति पदावनत

कानपुर में राजनीतिक गलियारों की हलचल लेकर आया है शहरनामा कालम। हर सफल पुरुष के पीछे किसी महिला का हाथ होने की कहावत को एक पार्टी में सांगठनिक फेरबदल ने झुठला दिया है। नेताजी के कोप से बचने को ओहदेदार की तस्वीर ही गायब कर दी।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sun, 05 Dec 2021 02:48 PM (IST) Updated:Sun, 05 Dec 2021 02:48 PM (IST)
Kanpur Shahernama: यहां झूठी साबित हो गई एक कहावत, पत्नी की वजह से पति पदावनत
कानपुर शहर की राजनीतिक हलचल का शहरनामा।

कानपुर, राजीव द्विवेदी। यूपी विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही शहर में राजनीतिक हलचल भी काफी तेज हो गई। इस तेजी में कई नेता भी अब बाहर निकलकर अपनी सफेदी चमकाने में जुट गए हैं। शहरी राजीतिक गलियारों में ऐसी हलचल जो सुर्खियां नहीं बन पाई, उन्हें लेकर फिर आया है शहरनामा कालम...।

...और पति की हुई पदावनति

हर सफल पुरुष के पीछे किसी महिला का हाथ होने की कहावत को नीले परचम वाली पार्टी में हुए सांगठनिक फेरबदल ने झुठला दिया। दरअसल, महापौर और लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमा कर नाकाम रहने वाली पार्टी के शहर मुखिया की पत्नी ने अबकी बार पड़ोसी जिले की बांगरमऊ विधानसभा सीट से टिकट मांगा है। उनके दावेदारी पेश किए जाने के बाद उनके पति का शहर मुखिया का रुतबा ही नहीं छिना, बल्कि उनको नायब का पद भी थमा दिया गया।

इससे जिस पार्टी कार्यालय में वह मुखिया की कुर्सी पर बैठते थे, वहां वह अब नायब की जिम्मेदारी निभाएंगे। पार्टी के इस अप्रत्याशित फैसले से हैरान शुभचिंतकों ने वजह जाननी चाही तो नेता जी का जवाब था कि उनकी पत्नी को चुनाव लडऩा है तो उनकी व्यस्तता चुनाव और उसकी तैयारी में अधिक रहेगी, इस नाते नई भूमिका दी गई। हालांकि, उनका जवाब किसी के गले नहीं उतर रहा।

नेताजी का होर्डिंग प्रेम

भगवा दल में व्यक्ति नहीं, बल्कि दल की ख्याति को तरजीह देने के दावे नेता भले करें, पर हकीकत अलग है। व्यापारियों को दल से जोडऩे का जिम्मा उठाने वाले प्रकोष्ठ के वरिष्ठ नेता इस दावे को आइना ही दिखाते हैं। वह जब भी शहर आते हैं, तब यही शिकायत रहती कि कार्यालय में उनकी तस्वीर क्यों नहीं है। कुछ रोज पहले आए तब वही शिकायत थी।

सालों से एक ही पद पर जमे नेताजी ने कार्यालय में उनकी तस्वीर होने का ताना देने संग नाराजगी भी जताई कि उनकी तस्वीर वाली होर्डिंग शहर में नहीं है। स्थानीय पदाधिकारियों ने संतुष्ट करने को मोबाइल फोन पर होर्डिंग्स की डिजाइन दिखाईं तो वह और भड़क गए। दरअसल, उसमें सरकार में ओहदेदार शहर के नेताजी की तस्वीर उनसे बड़ी थी। तत्काल अपनी तस्वीर बड़ी करने को कहा। पदाधिकारियों ने नेताजी के कोप से बचने को ओहदेदार की तस्वीर ही गायब कर दी।

साख पर स्वार्थ भारी

राष्ट्र और पार्टी हित सर्वोपरि रखने का दावा करने वालों का कुनबा भले दुनिया में सबसे बड़ा हो, पर उसमें साख से ऊपर अपना स्वार्थ रखने वाले भी हैं। इसकी बानगी हाल में भगवा दल से जुड़े व्यापारियों के कार्यक्रम में दिखी। जब व्यापारियों को दल, उसकी विचारधारा से जोडऩे वाले प्रकोष्ठ के नेता भीड़ जुटाने को फोन करके व्यापारियों को बुला रहे थे। वहीं, पंडित जी की छत्रछाया में व्यापारी सियासत में आए सेठ जी, उनकी विरासत संभालने वाले युवा नेता का खेमा मजमा न जुटने देने के प्रयास में रहा।

दरअसल, ये अदावत दल के लिए नहीं, बल्कि टिकट की दावेदारी की थी। व्यापारियों को बुलाने और रोकने वालों का अपना-अपना स्वार्थ था। रोकने वाले नहीं चाहते थे कि बुलाने वाले की दावेदारी में दम आए। दल की साख से अपनी दावेदारी की ख्वाहिश ज्यादा थी। प्रदेश प्रभारी के घर पहुंचने से वह उसमें कामयाब होते भी दिखे।

समाज की ठेकेदारी

हाल में शहर आए भगवा पार्टी के मुखिया ने दावा किया था कि सभी दलों का हमारी जाति, हमारा वर्ग पर जोर अधिक रहता है, जबकि उनकी पार्टी सभी के प्रति समभाव रखती, राष्ट्रवाद पर यकीन करती है। ये मुखिया का दावा जरूर है, पर पार्टी में अपने-अपने समाज की ठेकेदारी करने वाले कम नहीं हैं। हाल में दल के मुखिया संग सरकार के मुखिया का धर्मस्थल पर जाना हुआ।

पार्टी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के आला पदाधिकारी ने कार्यक्रम अल्पसंख्यक समाज का बताया तो उनकी अकादमी के पदाधिकारी ने उसे समाज का बताया। दरअसल, दोनों में इस बात को लेकर होड़ है कि कैसे वह दल में अपने समाज के सबसे बड़े नेता दिखें। इसीलिए बीते रोज अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ की हुई बैठक में अकादमी के पदाधिकारी को नहीं बुलाया गया। समाज के दो नेताओं के बीच की रस्साकसी के पीछे की मंशा को समझने वाले खूब मजे ले रहे हैं।

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