Kanpur Shaernama Column: बड़े अफसर का कक्ष देख रूठ गए छोटे साहब, अब प्रमोशन में रोड़े का डर

कानपुर का शहरनामा राजनीतिक हलचल और प्रशासनिक चर्चाओं को लोगों को तक चुटीले अंदाज में पहुंचाता है। इस बार एक साहब अपने ही बड़े अफसर का कक्ष देखकर रूठ गए हैं तो शादी अनुदान घोटाला अब कइयों के लिए गले की फांस बन गया है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sun, 28 Feb 2021 09:49 AM (IST) Updated:Sun, 28 Feb 2021 09:49 AM (IST)
Kanpur Shaernama Column: बड़े अफसर का कक्ष देख रूठ गए छोटे साहब, अब प्रमोशन में रोड़े का डर
कानपुर में राजनीतिक अौर प्रशासनिक गतिविधियों का शहरनामा कॉलम।

कानपुर, [राजीव द्विवेदी]। शहर की प्रशासनिक और राजनीतिक हलचल किसी से छिपी नहीं है। इस हलचल के बीच कुछ ऐसी भी चर्चाएं रहती हैं, जो बाहर नहीं आ पाती हैं। ऐसी ही चर्चाओं को चुटीले अंदाज में लाता है हमारा शहरनामा कॉलम.., आइए देखते है कि बीते सप्ताह क्या अधिक चर्चा में रहा।

दागी लेखपाल की खैरख्वाही

महंत जी की सरकार भले भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टालरेंस की नीति पर अमल कर रही हो, लेकिन इसको मुकाम तक परवान चढ़ाना इतना आसान नजर नहीं आ रहा है। उनके ओहदेदार के ही रिश्तेदार उनकी मंशा पर पानी फेरने में लगे हैं। समझिए सारा खेल। शहर में आजकल सुर्खियों में बने शादी अनुदान घोटाले में शहर की पड़ोसी तहसील में तैनाती के बाद मानवीय आधार पर सदर तहसील में संबद्ध लेखपाल को लेकर ओहदेदार के रिश्तेदार काफी परेशान हैं। दरअसल पूर्व में बार बाला के साथ नृत्य करने का वीडियो वायरल होने पर निलंबित हो चुका लेखपाल रिश्तेदार के प्रापर्टी के कारोबार में खास मददगार है। रिश्तेदार की हनक के चलते ही सदर में संबद्धता पाने वाले लेखपाल की बहाली हुई थी। अब उसके खिलाफ मुकदमे की संभावना से बेचैन रिश्तेदार आला अफसरों पर ओहदेदार के जरिए मामला दबाने और लेखपाल को बचाने के लिए दबाव बना रहे हैं।

अब प्रोन्नति में रोड़े का डर

गरीबों को मिलने वाले शादी अनुदान में अफसरों और मुलाजिमों ने रेवड़ी बटोरने में ऐसे ऐसे कारनामे कर डाले हैं, जिनको सुनकर कोई भी हैरान हो जाए। ये सभी रेवड़ी के एवज में दलालों और लेखपालों के जरिए आने वाले आवेदनों को आंख मूंद कर आगे बढ़ाते रहे। आवेदनों पर डिजिटल हस्ताक्षर करते रहे एसडीएम सदर पद पर रहे अफसरों की अब नींद उड़ी हुई है। अफसर दंपती तबादले की जुगाड़ में लग गए हैं तो प्रोन्नति की कतार में लगे एक अफसर की खुशी भी काफूर हो चुकी है। डिजिटल हस्ताक्षर होने से पल्ला झाडऩा संभव नहीं है, ऐसे में फर्जीवाड़े में नाम आने आशंका से बेचैन साहब अब यह पता करने में जुटे हैं कि उनके हस्ताक्षर से कितनी फाइलें विभागों को गईं और उनमें कितनों में फर्जीवाड़ा है। बेदाग रहने को साहब सरकार के ओहदेदारों के दरबार से इन दिनों अभयदान की जुगाड़ तलाशने में लगे हैं।

अब साहब को दिखने लगे छेद

शहर का रखरखाव रखने वाले महकमे के एक नायब अफसर बड़े साहब का कक्ष और सभागार चमाचम होने के बाद से रूठे हुए हैं। मुख्यालय समेत जोनल कार्यालयों का रखरखाव देखने वाले मुलाजिम से उन्होंने उनके भी कक्ष का कायाकल्प करने को कहा तो वह टाल गया। मुराद पूरी न होने पर साहब कार्यालय खर्च की फाइलों को यह कह कर टालने लगे कि कोई भी खर्च करने से पहले तय हो कि वह होगा किस मद से और पूर्व में मंजूरी भी ली जाए। पूर्व में लाख दो लाख रुपये तक के खर्च की फाइल सेवा के बाद मुस्कराते हुए पास कर देने वाले अफसर को हर विकास कार्य में अब खेल नजर आने की वजह बाबू बिरादरी ने तलाशी तो पता चला कि मसला साहब के कक्ष का है। उसके बाद से तमाम मौजीले बाबू और शहरियों के नुमाइंदे उनके जख्म को कुरेद कर मजे ले रहे हैं।

इधर-उधर करने की नहीं जाती आदत

गौसेवकों के एक संगठन में एक साल से पद को लेकर उठापटक चली आ रही है। संगठन में एक पदाधिकारी ऐसे भी हैं जिनकी कई संगठनों में नुमाइंदगी है। उनको पद चाहिए और जो पद देगा, वह उसी के साथ हो लेते हैं। गौसेवक संगठन के मुखिया ने पिछले दिनों खुद को गांधीवादी बताने वाले नेता जी को मीडिया में प्रेसनोट जारी करने पर रोक लगा दी, लेकिन नेता जी भी भला कहां मानने वाले थे। नेता जी पर बंदिश का कोई असर न होने पर संगठन के मुखिया के बाद का ओहदा रखने वाले चाचा जी के पास एक व्यापारी ने फोन करके नेता जी की आदत न सुधरने से संगठन की छवि धूमिल होने की शिकायत करते हुए कहा कि उनकी वजह से नाराज चल रहे लोग और नाराज हो रहे हैं। तब चाचा जी बोले, भाई क्या करोगे, उसकी आदत ही इधर की उधर करने की है।

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