Kanpur Shaernama Column: जिनके कायल मुख्यमंत्री भी हैं.., अखर रही है उन अम्मा की खामोशी

कानपुर शहर में राजनीति गतिविधियों को लेकर आया है शहरनामा कॉलम। नगर निगम सदन के बाद से शहर में अम्मा यदा-कदा ही दिख रहीं हैं। आर्यनगर और गोविंदनगर से टिकट के दूसरे दावेदारों के पहुंचने से एक पार्टी के दोनों जिलाध्यक्ष तनाव में हैं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sun, 18 Jul 2021 12:50 PM (IST) Updated:Sun, 18 Jul 2021 12:50 PM (IST)
Kanpur Shaernama Column: जिनके कायल मुख्यमंत्री भी हैं.., अखर रही है उन अम्मा की खामोशी
कानपुर की राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।

कानपुर, [राजीव द्वेवदी]। कानपुर शहर में विधानसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक हलचल खासा तेज हो गई है। सभी दल अब अपनी अपनी जमीन तैयार करने में जुट गए हैं। शहर की राजनीतिक गतिविधियों को चुटीले अंदाज में इस सप्ताह एक बार फिर लेकर आया है शहरनामा कॉलम...।

अखर रही अम्मा की खामोशी

जिन अम्मा की शहर में सक्रियता और तीखे तेवरों के कायल सूबे के मुख्यमंत्री भी हैं, आजकल उनकी खामोशी अखर रही है। बीते माह हुए नगर निगम सदन के बाद से शहर में वह यदा-कदा ही दिख रहीं। अब न कहीं छापेमारी, न ही ज्यादा बैठकें और न अफसरों की क्लास। सदन के दौरान नगर निगम के आला अफसर को करारा सबक सिखाने को तैयार थीं, लेकिन आला अधिकारियों की बैठक और फिर लखनऊ यात्रा के बाद आई तब्दीली को देखकर उनके प्रशंसक और मुंह बोले बच्चे हैरान हैं। उनको समझ नहीं आ रहा कि आखिर उन्हें हुआ क्या है। भले अम्मा की चुप्पी पहेली बनी है, पर अड्डेबाजों के पास उनकी खामोशी के तमाम किस्से हैं। कोई अधिकारियों के साथ हुई बैठक के बाद सांप सूंघने की बातें बना रहा तो कोई लखनऊ यात्रा में उन्हें चेतावनी और आला अफसर को फ्री हैंड मिलने का दावा कर रहा है।

दोनों जिलाध्यक्ष तनाव में हैं

बीते विधानसभा चुनाव में साइकिल की सवारी कर चुनाव लडऩे वाली दीदी की पार्टी, बुआ और उनसे गच्चा खाए भैया की पार्टी से तवज्जो नहीं मिलने पर खुद के दम पर मैदान मारने की तैयारी में है। हालांकि, उनकी पार्टी के दोनों जिलाध्यक्ष तनाव में हैं। कारण, कोरोना काल के डेढ़ साल बाद लखनऊ पहुंचीं दीदी ने जिलाध्यक्षों को जिले की विधानसभा सीटों पर चुनाव लडऩे की प्रत्याशा रखने वालों की सूची लेकर आने को कहा तो उत्तर और दक्षिण के साथ ग्रामीण इकाई के अध्यक्ष भी लाव-लश्कर संग राज्य मुख्यालय पहुंच गए। तीनों इकाई के अध्यक्ष आर्यनगर, गोविंदनगर और कल्याणपुर क्षेत्र से खुद दावेदार हैं। इसलिए वहां को छोड़ बाकी सीटों की सूची लेकर गए। दीदी के सामने नंबर कम न होने पाएं, इसलिए कथित सेवा कार्यों की फेहरिस्त व बायोडाटा भी दिया। आर्यनगर और गोविंदनगर से टिकट के दूसरे दावेदारों के पहुंचने से दोनों जिलाध्यक्ष तनाव में हैं।

चेहरा दिखाने को भूले नियम

भगवा दल वाले अनुशासित होने का दावा करते हैं, पर पिछले दिनों शहर आए केंद्र के कद्दावर मंत्री को चेहरा दिखाने की होड़ में कलई खुल गई। प्रधानमंत्री की दो फीट की दूरी और मास्क जरूरी अपील नेताओं पर बेअसर रही। एयरपोर्ट और गुरुमाता के आश्रम पर मंत्री से भेंट करने वालों की अलग-अलग सूची थी, लेकिन ऐन वक्त पर एयरपोर्ट पर मिलने का कार्यक्रम निरस्त होने से वहां मौजूद पार्टी नेता आश्रम पहुंचे। कोरोना की जांच रिपोर्ट न होने से उनको सुरक्षा कर्मी ने बाहर ही रोका, भीतर वालों ने बाहर आकर उन्हें ले जाने की कोशिश की पर बात नहीं बनी। अंतत: सब उनके बाहर निकलने का इंतजार करने लगे। मंत्री जी बाहर आए और पार्टी नेताओं का सम्मान रखने को सबके बीच पहुंचे तो शारीरिक दूरी और मास्क का मानक तार-तार हो गया। इसपर कइयों ने टिप्पणी की कि ये भी लाल टोपी वालों से कम नहीं।

सरकारी फरमान पर भारी सिफारिश

प्रदेश की सरकार में सुचिता, नियम-कायदों के सख्ती से पालन का दावा भले है, पर तमाम ऐसी बानगी देखने को मिल जाती हैं, जो इसकी गवाही देतीं हैं कि परिवर्तन का नारा सत्ता में आने भर के लिए था, बाकी मिजाज पूर्ववर्ती है। सरकार ने बीते दिनों जिलों में तैनाती के तीन साल पूरे कर चुके ग्राम विकास अधिकारियों के तबादले किए। दूसरे तमाम साथियों संग 11 साल से जिले में जमे ग्राम विकास अधिकारी का भी सूची में नाम था। सूची शासन भेजी जाती, उससे पहले ही जिले के मुखिया अफसर के पास शासन के बड़े अधिकारी की सिफारिश आ गई। अधिकारी कुछ तय करते, उससे पहले विभागीय मंत्री का फोन भी आ गया। दबाव बनने पर मुखिया को सूची से नाम हटाना पड़ा। बाद में जब पता किया गया तो महाशय के पास शहर के पश्चिमी छोर के पांच बड़े गांवों का चार्ज होने की बात सामने आई।

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