Kanpur Shaernama Column: बेकाम की वाहवाही और भौकाली नौटंकी की भूख
कानपुर शहर में राजनीतिक हलचल और नेताओं की गतिविधियों को शहरनामा कालम लेकर आया है। मां की बदौलत सियासत में खास मुकाम पाने वाली सरकार की ओहदेदार ने काम भले न किया हो पर वाहवाही के लिए झूठे दावे करने से कतई नहीं हिचकतीं।
कानपुर, [राजीव द्विवेदी]। यूपी में चुनावी गतिविधियां तेज होने के साथ शहरी राजनीति में भी हलचल शुरू हो गई है। चुनावी राजनीतिक चर्चाओं के बीच नेताओं की सक्रियता भी बढ़ी है। ऐसे राजनीतिक चर्चाओं को चुटिले अंदाज में लेकर फिर शहरनामा कालम आया है।
बेकाम की वाहवाही
मां की बदौलत सियासत में खास मुकाम पाने वाली सरकार की ओहदेदार ने काम भले न किया हो पर वाहवाही के लिए झूठे दावे करने से कतई नहीं हिचकतीं, बाद में भले किरकिरी हो जाए। कोविड की दूसरी लहर के दौरान उर्सला अस्पताल में आक्सीजन जेनरेशन प्लांट पर उन्होंने दावा किया कि उसके लिए 50 लाख रुपये अपनी निधि से दिए। हालांकि, एक प्रतिष्ठित सामाजिक संस्था ने यह प्लांट स्थापित करवाया था। मीडिया में नाम आने पर उन्होंने सफाई दी कि अस्पताल के दूसरे प्लांट के लिए धन दिया है। वहीं, शहर के ट्रैफिक जाम के इलाज के लिए 2018 को गंगा लिंक एक्सप्रेस वे का प्रस्ताव दिया गया पर ओहदेदार ने दावा कर दिया कि उन्होंने सरकार बनते ही 2017 में इसका प्रस्ताव उप मुख्यमंत्री को दे दिया था। शहरियों को हकीकत भले पता न हो पर संबंधित विभाग के अधिकारी जरूर उनके दावे पर मजे ले रहे हैं।
भौकाली नौटंकी और पात्र
भौकाली मिजाज के शहर के कारोबारी, सियासतदां हों या फिर समाजसेवक भौकाल की भूख हर किसी को रहती है। काम कुछ हो न हो ढोल पिटना चाहिए। बीते रोज तो उससे भी रोचक हुआ। शहर के एक दबदबे वाले व्यापार मंडल ने बैठक की। उसमें कुछ पदाधिकारियों के नाम तय हुए और सूची जारी कर दी गई। सूची में शहर के ग्रामीण इलाके में संगठन के मुखिया के नाम की घोषणा हुई। पदाधिकारी के प्रथम शहर आगमन पर स्वागत के नाम पर भौकाल के प्रदर्शन की परंपरा निभाने के लिए शहर में ही रहने वाले मुखिया महोदय फौज फाटा लेकर गंगा बैराज पहुंचे और फिर शहर आए। संगठन के मुखिया जो स्वयं शहर के ही हैं, वह भी भौकाली नौटंकी के लिए सरकार की मंत्री संग स्वागत करने पहुंचे। नवेले मुखिया जी को जानने वाले शहरी ही नहीं, बल्कि जुलूस में शामिल लोग भी नौटंकी का पात्र बनकर आनंदित हुए।
खुशी हुई काफूर
विधानसभा चुनाव में भले अभी पांच से छह माह का वक्त हो, पर तमाम सियासी दलों में तैयारियां तेज हैं। नीले परचम वाले तो सबसे आगे हैं। उन्होंने कई सीटों पर प्रत्याशी तय कर दिए। उनमें से एक दक्षिण शहर से सटी ग्रामीण क्षेत्र की सीट के लिए पिछले दिनों बैठक हुई। उसमें पार्टी नेताओं के साथ घोषित प्रत्याशी भी पहुंचे पर वहां स्थानीय इकाई ने प्रत्याशी चयन को लेकर विरोध कर दिया। कहा कि जो जिला पंचायत चुनाव न जीत सका, उसे क्यों थोपा जा रहा है। विरोध देख टिकट की ख्वाहिश लेकर भगवा दल से फिर पार्टी में आए नेताजी मुदित थे। हालांकि, उनकी खुशी काफूर होने में ज्यादा वक्त नहीं लगा। बैठक में नेताओं ने विरोध उनकी ओर से प्रायोजित होने की रिपोर्ट आलाकमान को भेज दी। अब परेशान नेताजी सफाई देते घूम रहे हैं। दरअसल, उनको टिकट की आखिरी उम्मीद भी टूटती नजर आ रही है।
बिटिया की ख्याति ने बढ़ाई चमक
कभी बेरोजगारों को भत्ता देने की मांग को लेकर आंदोलन करने के आरोप में निलंबित हो चुके शिक्षक के अरमान बिटिया के ओजस्वी भाषण के बाद हिलोरें मार रहे हैं। विद्यालय के सहयोगी शिक्षकों के विधानभवन पहुंचने से उनका संबल बढ़ा है। भगवा दल में सक्रिय शिक्षक सार्वजनिक मंचों पर भले अपनी इच्छा का इजहार न करें पर अंदरखाने वह परिसीमन के बाद पिछले दो चुनावों में भाजपा के लिए चुनौती बनी सीट से टिकट की ख्वाहिश पाले हैं। दावेदारी से पहले प्रोफाइल दुरुस्त करने को कभी जिला पंचायत अध्यक्ष के शपथ ग्रहण समारोह का मंच संचालन संभालते हैं तो कभी खुद को समाजसेवी दिखाने के जतन करते दिखते हैं। यदा कदा ही क्लास लेने वाले शिक्षक की सक्रियता और उनकी ऊंची पहुंच से वाकिफ भगवा दल के कई नेता परेशान हैं, कहीं उनकी दावेदारी को ग्रहण न लग जाए।