Kanpur Shaernama Column: दद्दा ने फिर मारी पलटी.., खुद भी खफा मगर तंज पर तिलमिलाते

कानपुर शहर में राजनीतिक हलचल को शहरनामा कॉलम लेकर आया है। समय बीत जाने के बाद भी जन्मदिन पार्टी का भूत भाजपा नेताओं को सुकून नहीं लेने दे रहा। दद्दा ने निगम में भ्रष्टाचार अफसर की ईमानदारी और खुद की जान को खतरा जैसे मसले उठाए थे।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sun, 20 Jun 2021 02:10 PM (IST) Updated:Sun, 20 Jun 2021 05:37 PM (IST)
Kanpur Shaernama Column: दद्दा ने फिर मारी पलटी.., खुद भी खफा मगर तंज पर तिलमिलाते
कानपुर में राजनीतिक हलचल का शहरनामा ।

कानपुर, [राजीव द्विवेदी]। कानपुर शहर में राजनीतिक गलियारों में हमेशा हलचल बनी रहती है, चुनाव का समय नजदीक आने से सभी संगठन सक्रिय हो गए हैं। ऐसे में शहर में राजनीतक चर्चाएं भी काफी तेज हो गई, हम शहरनामा कॉलम में उन चर्चाओं को चुटीले अंदाज में लेकर आते हैं जो सुर्खियां नहीं बन पाती हैं। आइए देखें बीते सप्ताह में क्या प्रमुख राजनीतिक चर्चाएं रहीं।

दबंगई ने मुखिया को रुलाया

अरसे बाद भी जन्मदिन पार्टी का भूत भाजपा नेताओं को सुकून नहीं लेने दे रहा। अपराधी तत्वों को छत्रछाया देने से लांक्षित हो रहे क्षेत्रीय संगठन के पदाधिकारी तो परेशान थे ही, अब चौड़ी मूंछ वाले माननीय भी आपा खोने लगे हैं। दरअसल अपराधी को हिरासत से भगाने में मददगार पक्ष व विपक्ष के युवा नेताओं का माननीय के क्षेत्र से जुड़ाव है। परोक्ष रूप से एक एक पक्ष की पैरवी कर रहे माननीय को अंदेशा है कि बवाल में उनका टिकट कटवाने की कोशिशों में लगे नेता का हाथ है। हाल में पार्टी के वैक्सीनेशन सेंटर के उद्घाटन के बाद पहुंचे माननीय नेता के समर्थक पदाधिकारी पर सही वक्त न बताने के बहाने भड़क पड़े। माननीय ने भड़ास निकालते हुए जाति विशेष के नेताओं पर उनके खिलाफ साजिश का आक्षेप लगा डाला। स्थानीय संगठन की मुखिया को भी नहीं छोड़ा। मुखिया रोने लगीं। वहां दूसरे कार्यकर्ताओं ने चुप कराया।

वीआइपी कट न मिलने की टीस

विकास कार्यों में लागत किस तरह कम रखी जाए, सरकार इस कोशिश में है। कई मैराथन बैठकों में हुए मंथन के बाद शहर के लिए प्रस्तावित रिंग रोड के प्रोजेक्ट में तकरीबन हजार करोड़ रुपये की बचत का रास्ता निकालनेे की नजीर हाल की है। शहर के एक वरिष्ठतम जनप्रतिनिधि कम लागत के पक्ष में नहीं हैं। हाल ही में शहर की पंचायत में डिमांड रख दी कि टेंडरों में तय हो, कितनी सीमा तक कमी हो सकती है। उनका तर्क विकास कार्य की गुणवत्ता प्रभावित होने को लेकर था, पर साथियों की मुस्कराहट ने चुगली कर दी कि वजह क्या है। कुछ ने कानाफूसी की- बजट कम होगा तो वीआइपी कट (भेंट) कहां से मिलेगा। वरिष्ठ साथियों ने याद भी दिलाया कि पूर्व में पंचायत की मुखिया से भइया ने वीआइपी कट के स्थायी बंदोबस्त का आग्रह किया था, जिससे नेतागीरी का खर्च चले, हालांकि वह टाल गई थीं।

दद्दा ने फिर मारी पलटी

नगर निगम सदन की दूसरे दिन की कार्यवाही भले मान सम्मान के सवाल पर हंगामे की भेंट चढ़ गई, पर उससे पहले हैरान करने वाले नजारे से लोग रूबरू हुए। करीब छह माह पहले कार्यवाही की याद आ गई, जब प्रेमनगर स्कूल की दुकान के जिक्र भर से दद्दा आपा खोकर साथी सदस्य पर भड़के थे, अमर्यादित शब्दों का इस्तेमाल कर डाला। उसके कारण सदन से छह माह के लिए निष्कासित कर दिए गए। दद्दा ने निगम में भ्रष्टाचार, अफसर की ईमानदारी और खुद की जान को खतरा जैसे मसले उठाए थे। तब लगा तो यही था कि दद्दा और उनकी दीदी के रिश्तों में आई खटास अब नहीं मिटने वाली, पर निष्कासन काल खत्म होने के बाद सदन में आए दद्दा के मुंह से दीदी के लिए फूल झड़ते देख साथी हैरान थे कि दद्दा के पलटी मारने की वजह क्या है। जिससे कारण निष्कासन झेला, उनके बगलगीर था।

खुद भी खफा, मगर तंज पर तिलमिलाते

शहर के विकास और बंदोबस्त दुरुस्त रखने का जिम्मा जिस सदन का है, वहां मान सम्मान को लेकर बवाल के बाद जनप्रतिनिधियों और अफसरों में खेमेबंदी के बीच शहर की दुश्वारियों की फिक्र किसी को नहीं है। सम्मान की दुहाई देकर छाती पीटने वालों के पास इसका जवाब नहीं है कि बनाने के लिए प्रस्तावित डेढ़ सैकड़ा सड़कों की सूची में 20 फीसद ऐसी सड़कों को क्यों शामिल किया गया जो सलामत थीं। उसके पीछे क्या मंशा थी। विकास के नाम पर लूट के मंसूबे कुंद करने में देरी के लिए जिम्मेदार कौन है, इसका जवाब पता होने के बाद भी सत्ता पक्ष की अफसरों से नाराजगी हैरान करने वाली है। सत्ताधारियों की विचित्र मनोदशा की हालत यह है कि विपक्ष द्वारा उनकी सरकार के लिए मार्ग प्रशस्त करने का शुक्रगुजार होने के तंज पर वह तिलमिला भी उठते हैं, नगर निगम सदन के पहले दिन यह तिलमिलाहट दिखी भी।

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